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कर्नाटक CM सिद्दरमैया की मुश्किलें बढ़ीं, SC ने नोटिस जारी कर याचिका पर मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के चुनाव को चुनौती देने वाली अपील पर नोटिस जारी किया है. याचिका में आरोप था कि कांग्रेस के मैनिफेस्टो में दी गई पांच गारंटी RP एक्ट के तहत करप्ट प्रैक्टिस हैं. हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की थी, लेकिन अब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है.

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Edited By: Babli Rautela
Supreme Court -India Daily
Courtesy: Social Media

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की चुनावी विजय एक बार फिर कानूनी घेरे में आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस अपील पर नोटिस जारी किया है जिसमें कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव के दौरान की गई पांच गारंटी को करप्ट प्रैक्टिस बताते हुए सिद्धारमैया के चुनाव को चुनौती दी गई है. यह याचिका कर्नाटक के वरुणा विधानसभा क्षेत्र के एक वोटर शंकरा द्वारा दायर की गई थी. कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस याचिका को अप्रैल में खारिज कर दिया था, जिसके बाद अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है.

शंकरा का आरोप है कि कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में जो पांच गारंटी देने का वादा किया था, वह RP एक्ट 1950 के सेक्शन 123 के तहत करप्ट प्रैक्टिस है. उनका तर्क है कि इस तरह मुफ्त सुविधाओं का वादा कर वोटरों को प्रभावित किया गया और यह चुनावी नैतिकता के खिलाफ है. उनका कहना है कि मैनिफेस्टो पर जिन नेताओं की तस्वीरें थीं, जिसमें सिद्धारमैया भी शामिल हैं, वे इस कथित करप्शन के लिए जिम्मेदार होने चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस 

सुप्रीम कोर्ट की बेंच को बताया गया कि फ्रीबीज पर रोक लगाने और 2013 के सुब्रमण्यम बालाजी केस की समीक्षा करने की मांग वाली याचिकाएं पहले से ही तीन जजों की बेंच के पास लंबित हैं. 2013 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकारें टीवी लैपटॉप और अन्य चीजें बांट सकती हैं क्योंकि यह नीति निर्देशों से जुड़ी कल्याणकारी योजनाएं हैं. उसी आधार पर कहा गया था कि चुनावी मैनिफेस्टो में किए गए वादों को करप्ट प्रैक्टिस नहीं माना जा सकता. इस संदर्भ में अब यह मामला और महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस विषय पर बड़े फैसले की तैयारी में है.

हाई कोर्ट ने क्यों खारिज की थी याचिका

कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा था कि कांग्रेस की पांच गारंटी RP एक्ट के सेक्शन 123 के तहत करप्ट प्रैक्टिस नहीं मानी जा सकती क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि चुनावी घोषणाओं में किए गए वादे भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में नहीं आते. हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि शंकरा कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सके कि कांग्रेस की इन गारंटी का उद्देश्य वोट खरीदना था.

सिद्धारमैया की ओर से पेश वकील ने कहा कि कांग्रेस की नीतियां किसी भ्रष्ट प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं बल्कि पूरी तरह वेलफेयर स्कीम पर आधारित थीं. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह मुद्दा पहले ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत साफ किया जा चुका है. इसलिए सिद्धारमैया के चुनाव को रद्द करने की कोई ठोस वजह नहीं बनती.