कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु की सड़क व्यवस्था सुधारने के लिए नवंबर तक गड्ढे भरने का अंतिम अल्टीमेटम दिया है. इसके साथ ही 182 सड़कों के ब्लैक टॉपिंग का काम भी मंजूर हुआ है.
यह फैसला तब लिया गया जब स्टार्टअप ब्लैकबक के सीईओ राजेश यादवजी ने ट्रैफिक और सड़कों की बदहाली का हवाला देते हुए कंपनी को शहर से हटाने का ऐलान किया.
बुधवार को उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने साफ कहा कि ठेकेदारों को नवंबर तक गड्ढे भरने का समय दिया गया है. उन्होंने कहा कि 'साफ-सुथरा बेंगलुरु और सुचारू ट्रैफिक हमारी प्राथमिकता है. जीबीए जल्द ही गड्ढों से राहत दिलाएगा.' साथ ही उन्होंने 182 सड़कों के ब्लैक टॉपिंग का काम भी मंजूर किया है, जिसकी लंबाई 349 किलोमीटर और लागत 694 करोड़ रुपये है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि काम के दौरान कहीं पानी न रुके और डामरीकरण के बाद कोई गड्ढा न बचे.
दरअसल, इससे पहले 14 सितंबर को सरकार ने घोषणा की थी कि बेंगलुरु में सड़क विकास के लिए 1,100 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है. इस घोषणा के बाद अब जमीन पर काम तेज करने की कोशिश हो रही है. इसी क्रम में बेंगलुरु सेंट्रल सिटी कॉरपोरेशन के कमिश्नर राजेंद्र चोलन ने सीवी रमन नगर इलाके का निरीक्षण किया और वहां की खराब फुटपाथ, गड्ढेदार सड़कें, कचरे की समस्या और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की खामियों की ओर ध्यान दिलाया. उन्होंने वार्ड-वार 'ब्लैक स्पॉट्स' यानी कचरा जमने वाले इलाकों की लिस्ट बनाने के भी आदेश दिए.
यह कदम इसलिए भी जरूरी हो गया क्योंकि कारोबारी वर्ग लगातार नाराजगी जता रहा है. ब्लैकबक स्टार्टअप के सीईओ राजेश यादवजी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्होंने आउटर रिंग रोड के बेलंदूर क्षेत्र से कंपनी को शिफ्ट करने का फैसला किया है. उन्होंने लिखा, 'अब यहां रहना बहुत मुश्किल है. औसतन मेरे सहयोगियों का एकतरफा सफर 1.5 घंटे से ज्यादा का हो गया है. सड़कें गड्ढों और धूल से भरी हैं. इन्हें सुधारने की कोई मंशा नहीं दिखती. अगले पांच साल में भी सुधार की उम्मीद नहीं है.'
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छेड़ दी. शहर के कई लोगों ने ट्रैफिक और गड्ढों की समस्या को लेकर अपनी झुंझलाहट जाहिर की. उद्योगपति मोहंदास पाई ने भी इस मामले को उठाते हुए कहा कि यह बेंगलुरु की गवर्नेंस की बड़ी नाकामी है. उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार को टैग करते हुए कहा कि 'कंपनियां आउटर रिंग रोड से जा रही हैं. हालात निराशाजनक हैं, तुरंत दखल दें.' विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सड़क और ट्रैफिक की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो यह भारत की टेक कैपिटल के रूप में बेंगलुरु की साख को नुकसान पहुंचा सकता है.