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Dharmasthala Controversy: गरीबी के सौदागरों के निशाने पर धर्मस्थल मंदिर, सेवा की सफलता बनी दुश्मनी की वजह

कर्नाटक के श्री धर्मस्थल मण्जुनाथेश्वर मंदिर पर हाल ही में लगे विवादित आरोपों ने इसकी वर्षों पुरानी सेवा और समाज सुधार की विरासत पर सवाल खड़े कर दिए हैं. जानकारों का कहना है कि यह विवाद न्याय की खोज नहीं, बल्कि उन शक्तिशाली नेटवर्क्स का संगठित प्रयास है, जिनके हित मंदिर की सामाजिक और आर्थिक पहलों से प्रभावित हुए हैं.

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Edited By: Kuldeep Sharma
Dharmasthala Controversy
Courtesy: web

Dharmasthala Controversy: सदियों से श्री धर्मस्थल मण्जुनाथेश्वर मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन का भी आधार रहा है. गरीबों को ऋणमुक्त करने से लेकर नशा मुक्ति, शिक्षा, मुफ्त इलाज और सामूहिक विवाह तक, इसने लाखों लोगों की जिंदगी बदली है. लेकिन आज यह मंदिर एक ऐसे विवाद में घिरा है, जिसे इसके समर्थक एक सुनियोजित बदनाम करने की मुहिम मानते हैं.

मंदिर की सामाजिक इकाई ‘श्री क्षेत्र धर्मस्थल ग्रामीण विकास परियोजना’ (SKDRDP) ने सूदखोरों के चंगुल से हजारों परिवारों को मुक्त कराया है. पहले जहां साहूकार 60% से ज्यादा ब्याज वसूलते थे, वहीं SKDRDP ने मात्र 12% ब्याज पर ऋण देकर इस शोषण का अंत किया. हर मुक्त हुआ परिवार इन साहूकारों के लिए सीधी आर्थिक चोट है.

नशे के खिलाफ जंग और नए दुश्मन

जन जागृति वेदिके अभियान के जरिए मंदिर ने शराबबंदी की मुहिम चलाई, 1.3 लाख से ज्यादा लोगों को नशा मुक्ति शिविरों से जोड़ा और "नवजीवी समितियां" बनाकर उन्हें संयम बनाए रखने में मदद की. इससे कई गांवों में शराब की बिक्री घटी और शराब माफियाओं के मुनाफे पर असर पड़ा, जिससे नए दुश्मनों का जन्म हुआ.

धर्म, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा

मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण युवाओं की शिक्षा, सामूहिक विवाह और पेंशन योजनाओं ने समुदायों को आत्मनिर्भर बनाया और धर्मांतरण के प्रयासों को कमजोर किया. 60 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूह सदस्य कृषि, व्यवसाय और शिक्षा के लिए ऋण ले रहे हैं. किसानों को डेयरी परियोजनाओं के लिए 37.85 करोड़ रुपये की मदद और बुजुर्गों को 110 करोड़ रुपये की पेंशन दी गई है.

सफलता पर हमला

विशेषज्ञों का मानना है कि सूदखोर, शराब माफिया और धर्मांतरण नेटवर्क, जिनके आर्थिक हित मंदिर की पहल से प्रभावित हुए हैं, अब मिलकर इसकी छवि खराब करने में लगे हैं. यह हमला केवल एक मंदिर पर नहीं, बल्कि उस मॉडल पर है जिसने 23 लाख से ज्यादा लोगों को गरीबी से उबारा और ग्रामीण कर्नाटक की रीढ़ को मजबूत किया है.