Recognition Of Palestine: संयुक्त राष्ट्र की सभा में जब फिलिस्तीन के मुद्दे पर बहस हो रही थी उसी समय माइक में तकनीकी गड़बड़ी आ गई जिससे महासभा हॉल में भ्रम और अटकलों का दौर शुरू हो गया. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एद्रोआन, कनाडा के पीएम मार्क कार्नी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो जिस समय बोल रहे थे उसी समय माइक खराब हो गया.
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो गाजा में शांति सैनिकों को भेजने की योजना का ब्योरा दे रहे थे, तभी उनका माइक्रोफोन अचानक बंद हो गया. एक रिपोर्ट के अनुसार, वहां मौजूद द्विभाषिया उनके भाषण का तब तक अनुवाद नहीं कर पाया जब तक माइक्रोफोन की आवाज वापस नहीं आ गई.
तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन अर्दोआन के भाषण के समय भी इसी तरह की समस्या उत्पन्न हुई. उन्होंने गाजा के हालातों को इजरायल का नरसंहार बताते हुए फिलिस्तीन को तुरंत मान्यता देने की बात कही.
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के भाषण के समय सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हुई. जैसे ही उन्होंने कहा कि कनाडा फिलिस्तीन को मान्यता देता है और जैसे ही उनके इतना कहने पर पूरा हॉल तालियों से गूंजा, उसके तुरंत बाद उनका माइक्रोफोन बंद हो गया.
माइक्रोफोन की खराबी के पीछे मोसाद का हाथ
फिलिस्तीन पर चर्चा के दौरान कई नेताओं के माइक्रोफोन में आई खराबी को मोसाद की साजिश बताया गया, हालांकि यूएन के कर्मचारियों ने इसे एक वास्तविक तकनीकी खराबी बताते हुए कहा कि इसमें किसी बाहरी तत्वों की कोई साजिश नहीं थी.
तकनीकी खराबी के बावजूद सभा में मौजूद ज्यादातर लोग फिलिस्तीन के पक्ष में नारे लगाते रहे. फ्रांस, बेल्जियम, माल्टा, लग्जमबर्ग और कनाडा ने फिलिस्तीन को मान्यता दी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने घोषणा की कि आज फ्रांस फिलिस्तीन को मान्यता देता है.
150 देशों ने किया समर्थन
फिलिस्तीन को करीब 150 देशों ने समर्थन किया, हालांकि इजरायल ने प्रखानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि जॉर्डन नदी के पश्चिम में फिलिस्तीन राज्य की स्थापना नहीं की जा सकती. . यही नहीं अमेरिका ने कहा कि ऐसा करने का मतलब हमास को पुरस्कार देने के तौर पर समझा जा सकता है.