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India Daily

'देश की सुरक्षा खतरे में...', कर्नाटक की जेल में आतंकी को मिल रहे वीआईपी ट्रीटमेंट पर बीजेपी ने कांग्रेस पर बोला हमला

कर्नाटक की बेंगलुरु सेंट्रल जेल से सामने आए वीडियो में आईएसआईएस ऑपरेटिव को जेल के अंदर मोबाइल और टीवी का इस्तेमाल करते देखा गया. बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर आतंकियों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया.

Km Jaya
Edited By: Km Jaya
 Amit Malviya India daily
Courtesy: @ANI and Video Grap

बेंगलुरु: कर्नाटक की परप्पना अग्रहार केंद्रीय जेल का एक वीडियो सामने आने के बाद सियासत गरम हो गई है. वीडियो में आईएसआईएस ऑपरेटिव जुनैद हमीद शकील मन्ना को जेल में मोबाइल फोन और टीवी का इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया है. बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ का आरोप लगाया है.

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने यह वीडियो एक्स पर शेयर किया और लिखा, 'कांग्रेस शासन में आतंकियों को वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है. बेंगलुरु की परप्पना अग्रहार जेल से डराने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें आईएसआईएस भर्तीकर्ता जुनैद मन्ना को जेल में मोबाइल और टीवी इस्तेमाल करते हुए देखा जा सकता है.' उन्होंने कहा कि यह आतंकी जेल के अंदर रहकर भी अपने नेटवर्क से संपर्क में था, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है.

देखें वीडियो

मालवीय ने क्या लगाया आरोप?

मालवीय ने आगे आरोप लगाया कि कांग्रेस शासन में कर्नाटक की जेलें 'आतंकियों और अपराधियों के लिए आरामगाह' बन गई हैं. उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला प्रशासनिक विफलता को दर्शाता है.

कब शुरु हुआ यह विवाद?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब बेंगलुरु की जेल से वीडियो सामने आया जिसमें कुछ कैदियों को मोबाइल फोन और अन्य सुविधाओं का उपयोग करते हुए देखा गया. बताया जा रहा है कि आरोपी आईएसआईएस भर्तीकर्ता को जेल में मोबाइल फोन की पूरी सुविधा थी और वह लगातार उसका इस्तेमाल कर रहा था.

जेल महानिदेशक क्या दिए आदेश?

विवाद बढ़ने के बाद जेल महानिदेशक बी. दयानंद ने जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वीडियो की सत्यता की पुष्टि करें और इसमें शामिल सभी दोषियों की पहचान करें. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वीडियो में अन्य हाई-प्रोफाइल कैदी उमेश रेड्डी और तरुण राजू भी नजर आ रहे हैं.

कौन है उमेश रेड्डी?

1996 से 2002 के बीच उमेश रेड्डी 20 महिलाओं से रेप और 18 हत्याओं के मामलों में दोषी पाया गया था.  उमेश पहले मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे 30 साल की सजा में बदल दिया.  रेड्डी ने मानसिक बीमारी का दावा किया था, लेकिन मेडिकल जांच में वह पूरी तरह स्वस्थ पाया गया.