बेंगलुरु के एक युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर की दर्दभरी कहानी इन दिनों लिंक्डइन पर तेजी से वायरल हो रही है. यह कहानी एक अन्य यूजर द्वारा शेयर की गई, जिसमें बताया गया कि कैसे एक जहरीले और अपमानजनक वर्क कल्चर ने इस टैलेंटेड इंजीनियर को अपनी नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया.
इस इंजीनियर की परेशानी का कारण परफॉर्मेंस की कमी नहीं थी बल्कि ऑफिस में मेंटल स्ट्रेस, अपमानजनक व्यवहार और समर्थन की कमी थी. पोस्ट के अनुसार, एक वर्चुअल मीटिंग के दौरान जब इस इंजीनियर ने प्रोजेक्ट से जुड़ा एक सवाल पूछा, तो उसका स्वागत मदद की बजाय गुस्से और तानों से किया गया. वह खुद को रोक नहीं पाया और मीटिंग के बीच ही रो पड़ा.
वर्कप्लेस का माहौल इतना बिगड़ा हुआ था कि वहां ठीक से ऑनबोर्डिंग तक नहीं हुई थी और नए कर्मचारियों से उम्मीद की जाती थी कि वे खुद ही सब कुछ सीखें. किसी भी छोटी गलती पर सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा किया जाता था. एक कर्मचारी ने लिखा, 'हम तारीफ की उम्मीद तक छोड़ चुके थे, अब तो बस यही चाहते थे कि मीटिंग में कोई बेइज्जती न हो.'
इतना ही नहीं, इंजीनियर के मैनेजर का रवैया भी बेहद कठोर और असंवेदनशील था. वह अनजाने समय पर कॉल करता, शिकायतों को नजरअंदाज करते और टीम की गलतियों का सारा दोष दूसरों पर डाल देता. जब इंजीनियर ने आखिरकार नौकरी छोड़ने का फैसला किया, तो फेयरवेल के नाम पर मैनेजर ने सिर्फ इतना कहा –'शुभकामनाएं अगली नौकरी के लिए... देखते हैं वहां कितने दिन टिकते हो!'
यह कहानी हजारों लोगों के दिल को छू गई, क्योंकि यह सिर्फ नौकरी छोड़ने की नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान बचाने की लड़ाई की कहानी थी. पोस्ट का अंत एक मजबूत संदेश के साथ हुआ, 'एक खराब मैनेजर किसी सपनों की नौकरी को बुरे सपने में बदल सकता है, जबकि एक अच्छा मैनेजर सबसे मुश्किल काम को भी आसान बना सकता है.' इसलिए, अच्छे लीडर्स की कद्र करें, क्योंकि वे हर जगह नहीं मिलते.