कांग्रेस दक्षिण हरियाणा से अपना अध्यक्ष चुन लिया है. हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए लगभग 10 महीने बीत जाने के बाद भी कांग्रेस अभी तक नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के पदों पर नई नियुक्ति नहीं कर पाई थी. नारनौल के रहने वाले पूर्व मंत्री राव नरेंद्र सिंह को अचानक दिल्ली बुलाया गया.
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा हस्ताक्षरित एक आधिकारिक सूचना के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष ने सिंह की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. इसके अतिरिक्त, पार्टी ने हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता के रूप में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की नियुक्ति को मंजूरी दी. पार्टी ने निवर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान के योगदान की सराहना की.
इन नियुक्तियों के साथ, हरियाणा में सीएलपी प्रमुख के रूप में एक जाट नेता और पीसीसी प्रमुख के रूप में एक दलित नेता की लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था 20 साल बाद बदल गई है. कांग्रेस राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दक्षिण हरियाणा में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहती है और OBC वोटरों पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.
राव नरेंद्र सिंह को क्यों चुना गया?
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि राव नरेंद्र सिंह की पदोन्नति दक्षिणी हरियाणा में, खासकर ओबीसी समुदायों और अहीर वोट बैंक के बीच, कांग्रेस को मज़बूत करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है. रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम वाले इस क्षेत्र में 11 विधानसभा सीटें हैं. 2024 के चुनावों में, कांग्रेस को सिर्फ़ एक सीट मिली, जबकि भाजपा ने बाकी 10 सीटें अपने नाम कर लीं. इससे पहले 2014 में भाजपा ने सभी 11 सीटें जीती थीं.
नेताओं का मानना है कि ओबीसी को प्रमुखता से प्रतिनिधित्व देने से कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं में सुधार हो सकता है. इसके अलावा, सिंह किसी खास गुट से जुड़े नहीं हैं, जिसे पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह के जोखिम को कम करने वाला कारक माना जा रहा है.