नई दिल्ली: दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ने चिकित्सा इतिहास में एक बड़ा कदम उठाते हुए पहली बार 11 साल के बच्चे का सफल पेडियाट्रिक किडनी ट्रांसप्लांट किया है. यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि किसी केंद्रीय सरकारी अस्पताल में बच्चों का ऐसा ऑपरेशन पहली बार हुआ है.
बच्चा पिछले डेढ़ साल से किडनी फेल्योर से जूझ रहा था और लगातार डायलिसिस पर था. मां द्वारा किडनी दान करने और डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम की महीनों की मेहनत ने आखिरकार उसे नया जीवन दे दिया.
सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि 11 वर्षीय बच्चे को बाइलैटरल हाइपोडिसप्लास्टिक किडनी नामक दुर्लभ बीमारी थी, जिसके कारण उसकी दोनों किडनियां लगभग काम करना बंद कर चुकी थीं. एक बार तो उसे इलाज के दौरान कार्डियक अरेस्ट भी हुआ था. घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण परिवार महंगा इलाज कराने में असमर्थ था. ऐसे में बच्चे की मां ने किडनी दान करने का निर्णय लिया और अस्पताल की विशेषज्ञ टीम ने यह जटिल ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक कर दिया.
19 नवंबर 2025 को किया गया यह ऑपरेशन सफदरजंग अस्पताल के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के सरकारी स्वास्थ्य तंत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. यह पहली बार है कि किसी केंद्रीय सरकारी अस्पताल में पेडियाट्रिक किडनी ट्रांसप्लांट को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया. आमतौर पर ऐसे ऑपरेशन निजी अस्पतालों में किए जाते हैं, जिनका खर्च 15 लाख रुपये तक आता है। सफदरजंग में यह पूरी प्रक्रिया न्यूनतम लागत पर कर परिवार को राहत दी गई.
बच्चे का परिवार उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से है और पिता दिहाड़ी मजदूर हैं. आर्थिक तंगी के कारण परिवार लगभग उम्मीद खो चुका था. अस्पताल प्रशासन ने न केवल ट्रांसप्लांट की व्यवस्था की, बल्कि ट्रांसप्लांट के बाद लंबे समय तक लगने वाली महंगी इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं भी मुफ्त उपलब्ध कराने की घोषणा की. डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की स्थिति अब स्थिर है और वह धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट रहा है.
इस ऐतिहासिक ऑपरेशन का नेतृत्व यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. पवन वासुदेवा ने किया. उनके साथ प्रोफेसर डॉ. नीरज कुमार भी सर्जिकल टीम में शामिल थे. वहीं, बाल चिकित्सा विभाग की टीम का नेतृत्व डॉ. शोभा शर्मा ने किया, जिन्हें डॉ. श्रीनिवासवरदन और विभागाध्यक्ष डॉ. प्रदीप के देबता का सहयोग मिला. एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. सुशील ने किया, जिनके साथ डॉ. ममता और डॉ. सोनाली मौजूद रहीं. पूरी टीम ने महीनों की योजना और तैयारी के बाद ऑपरेशन को सफल बनाया.
अस्पताल के निदेशक डॉ. संदीप बंसल ने कहा कि यह सफलता न केवल सफदरजंग अस्पताल बल्कि देश की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और क्षमता को भी दर्शाती है. उनका कहना है कि यह ट्रांसप्लांट मेडिकल टीम की मेहनत, तकनीकी विशेषज्ञता और समर्पण का परिणाम है, जिसने एक बच्चे को नया जीवन दिया और हजारों परिवारों को भरोसा दिलाया कि सरकारी अस्पताल भी उच्च स्तरीय जटिल ऑपरेशन करने में सक्षम हैं.