नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण लगातार भयावह स्थिति में बना हुआ है. हवा में जहरीले कण बढ़ने के कारण लोग सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं. पर्यावरण विशेषज्ञ इस प्रदूषण को स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बता रहे हैं. नए अध्ययन ने साफ किया है कि दिल्ली में प्रदूषण का असर सिर्फ सेंट्रल इलाकों तक सीमित नहीं रहा.
यह अब औद्योगिक और व्यस्त यातायात वाले क्षेत्रों में यह और खतरनाक रूप ले रहा है. सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में उत्तरी दिल्ली का दबदबा दिखा.
‘रेस्पिरर लिविंग साइंसेज’ द्वारा किए गए अध्ययन में दिल्ली के तीन क्षेत्रों-जहांगीरपुरी, रोहिणी और शाहदरा-को सबसे अधिक प्रदूषित पाया गया. रिपोर्ट के आधार पर यहां पीएम2.5 का स्तर 140 से 146 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर मापा गया, जो सुरक्षित सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से दो गुना से अधिक है.
अध्ययन के अनुसार, आनंद विहार और विवेक विहार में पीएम2.5 का स्तर 133-135 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंचा. रोहिणी में यह 142, शाहदरा में 134.8, मंगोलपुरी औद्योगिक क्षेत्र में 123.8 और मदनपुर खादर में 120.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया. विशेषज्ञों का मानना है कि यातायात और छोटे उद्योगों के कारण प्रदूषण फैल नहीं पाता.
अध्ययन में यह भी स्पष्ट हुआ कि द्वारका, लोधी रोड और श्री अरबिंदो मार्ग जैसे क्षेत्रों में हवा संतोषजनक श्रेणी के करीब रही. हालांकि, 20 और 21 अक्टूबर के दौरान दीपावली के आस-पास प्रदूषण चरम पर पहुंचा, जब पीएम2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के पार चला गया.
राजधानी में हवा की दिशा बदलने से थोड़ा सुधार जरूर हुआ, लेकिन प्रदूषण में कमी नहीं आई. सोमवार को दिल्ली का एक्यूआई 382 दर्ज किया गया, जबकि नोएडा 397 एक्यूआई के साथ सबसे प्रदूषित रहा. गाजियाबाद 396, ग्रेटर नोएडा 382 और गुरुग्राम 286 एक्यूआई के साथ बेहद खराब श्रेणी में रहा. फरीदाबाद में 232 एक्यूआई दर्ज किया गया, जहां हवा अपेक्षाकृत बेहतर रही.
दिल्ली के वायु गुणवत्ता प्रबंधन सिस्टम के अनुसार, वाहनों से होने वाला प्रदूषण 20.45 फीसदी तक पहुंच गया है. इसके अलावा, पराली जलाने से 1.97 फीसदी, निर्माण कार्य से 3.10 फीसदी और आवासीय क्षेत्रों से 5.30 फीसदी प्रदूषण का योगदान सामने आया है. विशेषज्ञ जागरूकता और सख्त नीतियों की जरूरत बता रहे हैं.