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Chattisgarh: कांकेर में सुरक्षा बलों के साथ बड़ी मुठभेड़, 8 लाख की इनामी महिला नक्सली को किया ढेर

Chattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के आमाटोला-कलपर जंगल क्षेत्र में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच एक बड़ी मुठभेड़ हुई, जिसमें एक महिला नक्सली ढेर हो गई.

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Edited By: Princy Sharma
Naxal Encounter Chattisgarh
Courtesy: Pinterest

Naxal Encounter Chattisgarh: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के आमाटोला-कलपर जंगल क्षेत्र में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच एक बड़ी मुठभेड़ हुई, जिसमें एक महिला नक्सली ढेर हो गई. पुलिस ने उसकी पहचान शांति उर्फ देवे के रूप में की है, जो माओवादी संगठन PLGA की सक्रिय सदस्य थी. सरकार ने शांति पर 8 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था और उसकी मुठभेड़ में मौत सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है.

यह मुठभेड़ 20 जून को हुई, जब जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) की संयुक्त टीम ने सटीक सूचना के आधार पर ऑपरेशन शुरू किया. यह मुठभेड़ कांकेर जिले के छोटेबेठिया थाना क्षेत्र के ग्राम आमाटोला और कलपर के बीच कोटरी नदी के पास जंगल और पहाड़ी इलाके में हुई. सुरक्षा बलों ने माओवादियों को घेर लिया और इस दौरान एक महिला नक्सली मारी गई, जिसकी बाद में पहचान शांति उर्फ देवे के रूप में हुई.

8 लाख रुपये का इनाम

शांति का इतिहास भी काफी खतरनाक था. वह पहले गरियाबंद जिले की गोबरा एरिया कमेटी में सक्रिय थी और बाद में उत्तर बस्तर डिवीजन में PLGA की कंपनी नंबर 5 और कंपनी नंबर 7 के साथ जुड़ी रही. उसकी भूमिका संगठन में काफी महत्वपूर्ण थी, जिसके चलते उस पर 8 लाख रुपये का इनाम रखा गया था.

अहम चीजें बरामद

मुठभेड़ स्थल से सुरक्षा बलों ने कई अहम चीजें बरामद कीं, जिसमें एक .303 रायफल, एक देसी BGL लॉन्चर, 7 जिंदा गोलियां, एक वॉकी-टॉकी सेट, दो पिट्ठू बैग, माओवादी दस्तावेज, साहित्य, प्राथमिक चिकित्सा दवाइयां और दैनिक उपयोग की वस्तुएं शामिल थीं. हालांकि, इस मुठभेड़ के दौरान कुछ माओवादी जंगल और पहाड़ी इलाके का फायदा उठाकर भागने में कामयाब हो गए. फिलहाल, आसपास के इलाकों में तलाशी अभियान जारी है.

412 नक्सली मारे गए 

गौरतलब है कि पिछले 18 महीनों में बस्तर रेंज में माओवादियों के खिलाफ हुई कार्रवाई में 412 नक्सली मारे गए या पकड़े गए, जिनमें कई शीर्ष माओवादी नेता जैसे बसवराजु उर्फ गंगन्ना और गौतम उर्फ सुधाकर भी शामिल थे. यह मुठभेड़ न सिर्फ सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता है, बल्कि इससे यह भी संकेत मिलता है कि माओवादी नेटवर्क अब कमजोर हो रहा है. पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां माओवादमुक्त क्षेत्र बनाने के लिए लगातार अभियान चला रही हैं.