Magadh Mahila College: बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर विवादों में है. इस बार मुद्दा यह है कि – पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत कॉलेजों में प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर. पहली बार 'लॉटरी सिस्टम' अपनाया गया है, जिसे लेकर पारदर्शिता की बात तो हो रही है लेकिन विषय-विशेषज्ञता और योग्यता की अनदेखी पर तीखी बहस छिड़ गई है.
इस बार लॉटरी से चुने गए प्राचार्यों में सबसे अधिक विवाद मगध महिला कॉलेज को लेकर है, जहां इतिहास के प्रोफेसर नागेंद्र प्रसाद वर्मा को प्रिंसिपल नियुक्त किया गया है. चूंकि यह एक महिला कॉलेज है, ऐसे में पुरुष प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
1. मगध महिला कॉलेज – नागेंद्र प्रसाद वर्मा (इतिहास, जे.पी. विश्वविद्यालय, छपरा)
2. पटना कॉलेज – अनिल कुमार (रसायन विज्ञान, यूपी स्थित कॉलेज)
3. पटना साइंस कॉलेज – अलका यादव (होम साइंस, हाजीपुर महिला कॉलेज) – पहली महिला प्राचार्य
4. वाणिज्य महाविद्यालय – सुहेली मेहता (होम साइंस, मगध महिला कॉलेज)
5. पटना लॉ कॉलेज – योगेंद्र कुमार वर्मा
राज्यपाल और कुलाधिपति अरिफ मोहम्मद खान ने यह कदम पारदर्शिता और भ्रष्टाचार से बचाव के उद्देश्य से उठाया. उन्होंने मई 2025 में निर्देश जारी किया, जिसके तहत तीन-सदस्यीय समिति की निगरानी में प्रक्रिया संपन्न हुई. BSUSC ने करीब 15 वर्षों बाद जून 2025 में मेरिट लिस्ट जारी की और 2 जुलाई को लॉटरी निकाली गई.
शिक्षाविदों का कहना है कि लॉटरी प्रणाली से विषय-संगतता की अनदेखी हो रही है. उदाहरण के तौर पर, होम साइंस की प्रोफेसर को कॉमर्स कॉलेज दे देना या रसायन विज्ञान के शिक्षक को कला कॉलेज भेजना समझ से परे है. टॉपर रहीं सुहेली मेहता ने भी असंतोष जताते हुए ज्वाइनिंग से पहले ही पद छोड़ने की बात कही है.