Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव में बिहार की भूमिका काफी खास होने वाली है जहां पर चुनावी रणभेरी के आगाज से पहले ही राजनीतिक समीकरण की बिसात बिछनी शुरू हो गई थी. इसी बिसात को मजबूत करने के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए ने इंडिया गठबंधन में सेंध लगाते हुए सीएम नीतीश कुमार की घर वापसी कराई.
हालांकि इसके बावजूद 6 चरण के चुनाव प्रचार में भारतीय जनता पार्टी में वो विश्वास नजर नहीं आ रहा है जैसा कि उत्तर प्रदेश में दिख रहा है. बिहार में इंडिया गठबंधन के लिए पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कमान संभाल रखी है और मतदाताओं से वैसे ही जुड़ रहे हैं जैसे कि अपने जमाने में उनके पिता लालू प्रसाद यादव, चुनाव अभियान में पीठ दर्द दूर करने वाली दवाइयों को खाते और बैकपेन दूर करने वाली बेल्ट को पहने तेजस्वी यादव वोटर्स से सीधा कनेक्शन जोड़ने में कामयाब हो रहे हैं.
नतीजन राज्य में नीतीश कुमार की मौजूदगी का असर फीका तो वहीं पर तेजस्वी यादव का प्रहार तीखा होता जा रहा है. तेजस्वी यादव अपने पिता की तरह ही मजाकिया अंदाज से लोगों को अपने साथ करने में कामयाब हो रहे हैं और यही वजह है कि वो लोकसभा चुनाव में अब तक 180 रैलियां कर चुके हैं.
इन रैलियों के दौरान तेजस्वी यादव ने जिस तरह से पीएम मोदी के भाषणों का इस्तेमाल उनके खिलाफ किया वो उनकी चपलता को दर्शाता है. उदाहरण के लिए आरजेडी नेता ने पीएम मोदी की ओर से 'एम' (हिंदी में मा) से शुरू होने वाले शब्दों "मुजरा, मटन, मछली, मंगलसूत्र, मुसलमान, मंदिर," के इस्तेमाल पर जवाब देते हुए कहा कि हर समय रोते रहते हैं. जवाब में आरा की चुनावी रैली में आए लोग ठहाके लगाकर हंसने लगे.
तेजस्वी ने कहा, "मोदी जी 'एम' अक्षर के दीवाने हैं, लेकिन महंगाई के 'एम' का जिक्र तक नहीं कर सकते." उनका हमला यहीं पर नहीं रुका, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का इस्तेमाल करते हुए तेजस्वी ने लिखा, "सुनो- जनता गैस सिलेंडर, पेट्रोल-डीजल और सब्जियों की कीमतों (महंगाई) के बारे में बात कर रही है."
तेजस्वी यादव का पहनावा और सहजपन लोगों को कनेक्शन जोड़ने में मदद करता है. कंधे पर गमछा, जमीन पर बैठकर टाठी में खाना और आम लोगों की तरह गप्पे लड़ाना उनके प्रचार का तरीका मात्र ही है लेकिन बिहार में उनके लिए नए रास्ते खोल रहा है. ये रास्ते एनडीए के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं और इंडिया गठबंधन के लिए बिहार में बड़ा खेल करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
तेजस्वी के पास अपने भाषण, गीत, तुकबंदियां, ताने और ब्लूटूथ की अनोखी कला सब कुछ है. बिहार में इंडिया ब्लॉक की प्रमुख ताकत के रूप आरजेडी ने राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 23 पर दावा पेश किया है. कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ मिलकर बनाए गए गठबंधन में यह बिहार की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है. कुछ लोग तेजस्वी यादव के इस अंदाज की तुलना उनके मजाकिया, ऊर्जावान जननेता पिता लालू प्रसाद यादव से कर सकते हैं.
बिहार में तेजस्वी का अभियान गानों, तानों, तुकबंदियों, तात्कालिक नारों, ब्लूटूथ इनोवेशन और भोजपुरी भाषा से भरा हुआ है. वे भाजपा पर हमला करने के लिए बेरोजगारी और महंगाई का चतुराई से इस्तेमाल कर रहे हैं.
तेजस्वी ने एनडीए के '400 पार' लक्ष्य और भाजपा के 40 लोकसभा सीटों के साथ राज्य में जीत के आह्वान के खिलाफ '300 पार' का नारा दिया है. 2019 के आम चुनाव में एनडीए ने बिहार में 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2024 में बिहार में 2019 की तुलना में अधिक तीव्र और कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है और इसका श्रेय तेजस्वी को जाता है. हालांकि, अनोखे अभियान का नेतृत्व करते हुए तेजस्वी अपने एजेंडे से भटके नहीं हैं और महंगाई, बेरोजगारी के साथ ही देश भर में जातिगत जनगणना के मुद्दे पर लगातार बात कर रहे हैं.
चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों में तेजस्वी यादव ने बिहार के मधुबनी में एक रैली को संबोधित करते हुए एक अभिनव तकनीक का इस्तेमाल करके सभी को चौंका दिया था. उन्होंने पोर्टेबल ब्लूटूथ स्पीकर पर पीएम मोदी के पुराने भाषणों के कुछ हिस्से चलाए, जब वे गुजरात के सीएम थे. उन्होंने एनडीए के सबसे बड़े नेता पीएम मोदी पर निशाना साधा और वादों को पूरा न करने को लेकर उन पर बार-बार निशाना साधा.
तेजस्वी ने एक्स पर कहा, 'जनता अब सुन रही है और प्रधानमंत्री को बता रही है कि उन्होंने 10 साल तक क्या-क्या वादे किए. इतने झूठ बोले गए हैं कि अब यह समझ से परे है."
बाद में, तेजस्वी ने एक काव्यात्मक व्यंग्य में गोविंदा की मशहूर फिल्म 'साजन चले ससुराल' (1996) गीत का संशोधित संस्करण गाया और पीएम मोदी पर नौकरी के वादों पर जनता को धोखा देने का आरोप लगाया. "तुम तो धोखेबाज हो, वादा करके, भूल जाते हो. रोज रोज मोदीजी तुम ऐसा करोगे, जनता रूठ गई तो फिर हाथ मलोगे. तुम तो धोखेबाज हो, वादा करके, भाग जाते हो,"
जैसे ही तेजस्वी ने यह गीत गाया, उनका स्वागत जयकारों से हुआ. आत्मविश्वास से लबरेज तेजस्वी ने 1997 की बॉलीवुड फिल्म जुड़वा के एक और हिट गाने का इस्तेमाल करते हुए 4 जून को नतीजों के दिन भाजपा के सत्ता से बाहर होने की भविष्यवाणी भी की. पिछले सप्ताह बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, "टन टना टन, टन टन तारा, भाजपा हो गई नौ दो ग्यारह."
एक्स पर अपने वीडियो के साथ उन्होंने कहा, "4th जून, BJP विल भी गोन सून (जल्द सत्ता से बाहर हो जाएगी बीजेपी)."
विशेषज्ञों का मानना है कि नौकरियों का मुद्दा, जिसमें उनके उपमुख्यमंत्री रहते हुए की गई दो लाख से अधिक नियुक्तियों की बार-बार याद दिलाना शामिल है, सभी जातियों के युवाओं को आकर्षित कर रहा है, जो अन्यथा राज्य की राजनीति पर हावी हैं. युवाओं और बेरोजगारों से अपील करते हुए उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से सुभाष चंद्र बोस के प्रसिद्ध नारे से प्रेरणा लेते हुए वोट मांगे. तेजस्वी ने हाल ही में एक्स पर पोस्ट किया, "तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हें नौकरी दूंगा."
उन्होंने एनडीए में शामिल होने और जनवरी में जेडीयू नेता के शपथ लेने के कुछ दिनों बाद भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने के लिए नीतीश कुमार पर तीखा हमला भी किया. उन्होंने यू-टर्न के लिए जेडीयू सुप्रीमो की आलोचना करते हुए कहा, "चाचाजी पलट गए".
तेजस्वी यादव ही हैं, जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव की खटाखट खटाखट धुन को लोगों के बीच वायरल कर दिया. इस धुन के साथ तुकबंदी वाली उनकी बातों ने इसके कई वर्जन लोगों के बीच वायरल कर दिए हैं. तेजस्वी ने पिछले हफ्ते कहा था, 'माहौल है एकदम टना-टन, टना टन टना टन. भाजपा हो गई सफा चट, सफा चट, सफा-चट. दीदी को 1 लाख रुपए मिलेगा खटा-खट, खटा-खट, खटा-खट. एक करोड़ नौकरी मिलेगी फटा फट फटा फटा, फटा फट. और इंडिया ब्लॉक को वोट मिलेगा, ठका ठक, ठका ठक, ठका ठक," .
तेजस्वी मछली की हड्डी से भी लोगों को गुदगुदा सकते हैं, यह बात मंगलवार को फिर देखने को मिली. राहुल गांधी के साथ मटन दावत का आनंद लेते हुए उन्होंने कहा, "[मुकेश] साहनी जी, आपका मछली का कांटा मोदी जी को लगा है." यहां पर तेजस्वी ने पीएम मोदी की ओर से उनकी आलोचना किए जाने पर तंज कसा जिसमें पीएम ने नवरात्रि के दिन आरजेडी नेता के अपने सहयोगी और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश साहनी के साथ मछली का भोजन करने पर निशाना साधा था.
4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बताएंगे आरजेडी नेता की कड़ी मेहनत का कितना असर हुआ है, हालांकि तेजस्वी के चुनाव अभियान ने यह साफ कर दिया है कि भविष्य में बिहार की राजनीति में तेजस्वी सबसे बड़ा नाम बनकर उभरते हुए नजर आ सकते हैं.