Bihar Assembly Elections 2025: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की गतिशीलता को नया आकार देने वाले एक कदम में, आम आदमी पार्टी (आप) ने घोषणा की है कि वह अपने दम पर सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. कभी विपक्षी दल भारत का हिस्सा रही आप के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले से राज्य के राजनीतिक समीकरण में एक नया मोड़ आने की उम्मीद है, जो संभावित रूप से सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी गठबंधन दोनों की किस्मत को प्रभावित कर सकता है.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में आप के सीमित समर्थन आधार और 2024 के लोकसभा चुनावों में इसके निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद जहां इसने 40 सीटों में से कुछ पर चुनाव लड़ा और कोई जीत हासिल नहीं की - पार्टी का सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला इसकी बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और अपने राजनीतिक पदचिह्न का विस्तार करने के इरादे का संकेत देता है.
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, हम शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली जैसे मुद्दों को लेकर बिहार में लोगों के बीच जाएंगे.' पार्टी कथित तौर पर शहरी और युवा मतदाताओं पर नजर रख रही है, जिन्हें पारंपरिक रूप से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस का समर्थन आधार माना जाता है.
राजनीतिक टिप्पणीकारों के अनुसार, आप के इस कदम से भारत गठबंधन को नुकसान हो सकता है, जिसमें आरजेडी, कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं. बिहार में आरजेडी के मुख्य वोट आधार में यादव, मुस्लिम और दलित शामिल हैं, जबकि कांग्रेस कुछ शहरी और दलित निर्वाचन क्षेत्रों में प्रभाव रखती है. कई लोगों ने व्यक्त किया है कि आप की उपस्थिति इन वोटों को विभाजित कर सकती है - विशेष रूप से करीबी मुकाबले वाली सीटों पर - जिससे अंततः एनडीए को लाभ होगा.
2024 के लोकसभा चुनावों में, भारत ब्लॉक ने बिहार में 9 सीटें जीतीं, जबकि एनडीए ने 30 सीटें हासिल कीं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप राजद और कांग्रेस के वोट शेयर में कटौती करती है, तो इसका सीधा फायदा भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) को हो सकता है.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आप के इस फैसले से एनडीए को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो सकता है. बिहार में एनडीए की ताकत भाजपा, जेडीयू, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम) के गठबंधन से आती है. 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को 52% वोट शेयर मिला, जबकि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 42% वोट मिले. राजनीतिक विश्लेषक यशवंत देशमुख के अनुसार, "बिहार में वोटिंग अंकगणित पर आधारित है. अगर एनडीए एकजुट रहा, तो उसे हराना मुश्किल है." विशेषज्ञों का मानना है कि आप की मौजूदगी से विपक्षी वोटों का बंटवारा एनडीए के लिए जीतना आसान बना सकता है.
राजनीतिक टिप्पणीकारों का तर्क है कि बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को जटिल जातिगत समीकरणों और मजबूत क्षेत्रीय दलों के प्रभुत्व से आकार दिए जाने के मद्देनजर आप का सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला जोखिम भरा कदम है. विशेषज्ञों के अनुसार, आप का दिल्ली मॉडल शहरी मतदाताओं को पसंद आ सकता है, लेकिन आरजेडी और जेडीयू जैसी क्षेत्रीय पार्टियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में गहरी पैठ बनाए हुए हैं. विश्लेषकों का यह भी सुझाव है कि अगर आप 5-10% वोट भी हासिल कर लेती है, तो भी यह इंडिया ब्लॉक की संभावनाओं को काफी नुकसान पहुंचा सकता है.
कई लोगों का मानना है कि आप की रणनीति पार्टी को बिहार में दीर्घकालिक विकल्प के रूप में स्थापित करने में मदद कर सकती है, लेकिन इसका तात्कालिक प्रभाव भारत गठबंधन को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचा सकता है. टिप्पणीकारों का कहना है कि विपक्षी वोटों में विभाजन अंततः एनडीए की स्थिति को मज़बूत कर सकता है. अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बिहार के मतदाता इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और आप का अभियान ज़मीन पर कितना प्रभावी साबित होता है.