Bihar Assembly Election 2025: बिहार की राजनीति में बीजेपी ने एक नया दांव खेला है, जिसका सीधा असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ेगा. वक्फ बोर्ड संशोधन बिल से शुरू हुआ मुद्दा अब पसमांदा मुसलमानों की भाजपा में एंट्री तक पहुंच चुका है. सोमवार को पटना के अटल सभागार में बड़ी संख्या में पसमांदा मुसलमानों ने भाजपा की सदस्यता ली, जहां प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी मौजूद थे.
मुस्लिम समाज में भी वर्गीकरण होता है. उसे तीन हिस्सों में बांटा गया है अशराफ (उच्च जाति), अजलाफ (पिछड़ी जातियां), और अरजाल (दलित मुसलमान). बीजेपी की नजर खासतौर पर अजलाफ और अरजाल यानी पसमांदा मुसलमानों पर है, जो संख्या में तो बहुत हैं (करीब 80%) लेकिन अब तक राजनीतिक प्रतिनिधित्व में हाशिए पर रहे.
बीजेपी ने वक्फ बोर्ड संशोधन के जरिए पसमांदा मुस्लिमों के बीच कई अहम सवाल उठाए:
इन सवालों ने पसमांदा समाज में अंदरूनी असंतोष को हवा दी और बीजेपी ने इसी मौके का फायदा उठाते हुए खुद को गरीब मुसलमानों की आवाज बनाकर पेश किया.
बीजेपी ने न सिर्फ वक्फ बोर्ड को निशाने पर लिया, बल्कि जातीय जनगणना के जरिए मुस्लिम समाज के भीतर की असल तस्वीर सामने लाने की मांग को भी हवा दी. इससे अशराफ वर्ग (सवर्ण मुसलमान) के वर्चस्व को चुनौती मिल रही है और पसमांदा तबका नेतृत्व की नई उम्मीद के तौर पर सामने आ रहा है.
बीजेपी जानती है कि मुस्लिम वोट बैंक पर अब तक अन्य पार्टियों का कब्जा रहा है, लेकिन अगर वह पसमांदा मुसलमानों को अपने साथ जोड़ने में सफल रही, तो यह 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल सकता है.