बिहार की राजनीति ने शुक्रवार को एक अनोखे क्षण का स्वागत किया, जब वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दसवीं बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए विशेष मान्यता दी.
यह उपलब्धि भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में बेहद दुर्लभ मानी जा रही है. जनता दल (यू) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने इस सम्मान की घोषणा करते हुए कहा कि यह उपलब्धि न सिर्फ नीतीश कुमार की लगन का प्रमाण है, बल्कि बिहार की स्थिर शासन व्यवस्था का प्रतीक भी है.
संजय झा ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने नीतीश कुमार के इस ‘असाधारण माइलस्टोन’ को औपचारिक रूप से मान्यता दी है. उन्होंने इसे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक “दुर्लभ उपलब्धि” कहा, जो लंबे समय तक जनता के भरोसे और स्थायी नेतृत्व का संकेत है.
नीतीश कुमार पहली बार वर्ष 2000 में मुख्यमंत्री बने थे, हालांकि बहुमत न होने के कारण सात दिनों में ही इस्तीफा देना पड़ा. 2005 में दोबारा सत्ता में लौटे और तब से वे लगभग लगातार राज्य का नेतृत्व करते रहे हैं, बीच में केवल एक छोटा अंतराल रहा.
उनकी राजनीतिक यात्रा में एनडीए और महागठबंधन दोनों के साथ गठबंधन शामिल रहे. बदलते राजनीतिक समीकरणों के बावजूद वे दस बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर बिहार के इतिहास में एक अनोखा रिकॉर्ड स्थापित कर चुके हैं.
संजय झा के अनुसार, यह उपलब्धि नीतीश कुमार की ‘अटल जनसेवा’ और ‘स्थिर शासन’ का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि बिहार के लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती का प्रमाण भी है.
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने संकेत दिया है कि नीतीश कुमार का नाम आधिकारिक रूप से अपनी वैश्विक सूची में सम्मिलित किया जाएगा. संजय झा ने इसे बिहार के लिए गर्व का क्षण बताया और कहा कि यह सम्मान राज्य की प्रगति की दिशा में नेतृत्व के लगातार योगदान का प्रतीक है.