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51 साल के हुए गांगुली, ऐसे ही दादा नहीं बन गए सौरव, बनना चाहते थे फुटबॉलर लेकिन बन गए क्रिकेटर, जान लीजिए उनके अनोखे रिकॉर्ड्स

Sourav Ganguly Birthday: भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान सौरव गांगलू का आज जन्मदिन है. सौरव गांगुली को दादा के नाम से जाना जाता है. दादा का जन्म 8 जुलाई 1972 को पश्चिम बगांल के कोलकाता में हुआ था

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Gyanendra Tiwari
51 साल के हुए गांगुली, ऐसे ही दादा नहीं बन गए सौरव, बनना चाहते थे फुटबॉलर लेकिन बन गए क्रिकेटर, जान लीजिए उनके अनोखे रिकॉर्ड्स

नई दिल्ली. Sourav Ganguly Birthday:आज भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान सौरव गांगलू का जन्मदिन है. सौरव 51 साल के हो गए. उनका नाम भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में गिना जाता है. भारतीय क्रिकेट टीम आज जिस मुकाम पर है उसमें कहीं ना कहीं सौरव गांगुली का अहम योगदान रहा है.

सौरव गांगुली को दादा के नाम से जाना जाता है. चाहे क्रिकेट मैदान हो या फिर कुछ और दादा हमेशा अपनी दादगिरी के लिए जाने जाते हैं. भारतीय क्रिकेट टीम को दादा ने दादागिरी करना सिखाया. विरोधियों के आँखों में आँख डालकर मुकबला करना हो, विदेशी सरजमी पर झंडे गाड़ना हो, बड़ी-बड़ी चुनौतियों से टीम को उबराना हो, आक्रामक बल्लेबाज का महान बल्लेबाज बनना हर एक गुण सौरव गांगुली के अदर है. वो भारत के सुलझे हुए कप्तान थे.

दादा का जन्म 8 जुलाई 1972 को पश्चिम बगांल के कोलकाता में हुआ था. उनके पिता का नाम चंडीदास गांगुली था. वो शहर के प्रतिष्टित व्यापारी थे और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के सदस्य थे. कहा जाता है कि सौरव एक फुटबॉलर बनने चाहते थे. उन्हें फुटबॉल बहुत प्रिय था लेकिन पापा की वजह से उन्होंने क्रिकेट ग्राउंड को चुना.

मौका मिला तो जड़ दिया शतक

Sourav Ganguly: The Captain Who Showed That India Can Win Away From Home -  MetroSaga
बात 1987 की है जब पश्चिम बंगाल में टाइफाइड ने कहर मचा रखा था. बंगाल अंडर 15 का क्रिकेट टूर्नामेंट चल रहा था. बंगला के 7 खिलाड़ी टाइफाइड का शिकार हो गए. बंगाल अंडर 15 को खिलाड़ियों की आवश्यकता थी. ऐसे में सौरव के कोच एमपी परमार के कहने पर उन्हें बंगाल की अंडर 15 टीम में चुन लिया गया. गांगुली ने मैच में अपना जलावा बिखेरा. शानदार शतक जड़ते हुए उन्होंने टीम को जीत दिलाई. इसके बाद उन्हें क्रिकेट से प्रेम हो गया. जहां भी मौका मिलता वो अपने बल्ले और गेंद से लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लेते. उनकी प्रदर्शन को देखते हुए 1989 में उन्हें बंगाल की रणजी टीम में जुना गया. लेकिन लीग मैचेस में उन्हें मौका नहीं मिला. 1989 के रणजी ट्रॉफी के फाइनल में उन्हें खेलने का  मौका मिला. इस मौके को पाकर दादा ने चौका मार दिया. और इसके बाद उन्होंने दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा.

इंटरनेशनल क्रिकेट में दादा की एंट्री

Sourav Ganguly Birthday Special: Tribute to the leader who put Team India  on winning ways - The Statesman

रणजी ट्रॉफी में 3 साल संघर्ष करने के बाद आखिरकार साल 1991 में दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए सौरव गांगुली को मौका मिला. लेकिन उन्हें इस दौरे में एक भी मैच खेलेने को नहीं मिला. दादा को वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू करने का मौका मिला. दादा ने 11 जनवरी 1992 में उन्होंने एक दिवसीय मैच में पर्दापण किया. लेकिन वो अपने डेब्यू मैच में सिर्फ तीन रन बनाकर आउट हो गए. 1 मैच बाद उन्हें ड्रॉप कर दिया गया.

रणजी में मचाई तबाही
दादा ने अपने आप पर खूब मेहनत की और उन्होंने 1993-94 और 1994-94 में हुए रणजी ट्रॉफी में अपने प्रदर्श से जमकर कहर बरपाया. इस प्रदर्शन के बाद चयनकर्ताओं का ध्यान सौरव की तरफ गया.

सिद्धू के कारण मिला मौका

1996 में इंग्लैंड दौरे के लिए सौरव को चुना गया. इंग्लैंड के खिलाफ एक तरफ भारतीय टीम संघर्ष से जूझ रही थी. उस मुश्किल पिच में दादा ने 62 रनों की शानदार पारी खेली. 
इंग्लैंड दौरे पर गई टीम इंडिया में नवजोत सिंह सिद्धू भी शामिल थे. कप्तान अजहरुद्दीन से हुई नोक झोक के चलते सिद्धू बीना बताए वापस भारत आ गए जिसके बाद सौरव को मौका दिया गया. इंग्लैंड दौरे से वापस आते ही दादा किंग ऑफ कोलकाता बन चुके थे.

सौरव ने संभाला कप्तानी का जिम्मा

इंग्लैंड दौरे के बात दादा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. फिर वो दौर आया जब भारतीय क्रिकेट अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था. 2000 में फिक्सिंग के खुलासे ने इंडियन टीम को हिला कर दिया था. सचिन ने कैप्टन बनने से मना कर दिया. भारतीय क्रिकेट का भविष्य अंधेरे में दिख रहा था. तब सौरव ने कप्तानी का जिम्मा संभाला. और एक नए युग की शुरुआत की.

Happy Birthday Sourav Ganguly: A look at Team India's top five performances  under Dada's captaincy | Cricket - Hindustan Times

बतौर कप्तान दादा ने भारत को नेटवेस्ट ट्रॉफी में भारत को चैंपियन बनाया. 2003 विश्व कप के फाइनल में इंडिया को पहुंचाया.  2002 में चैंपियंस ट्रॉफी में टीम को संयुक्त विजेता बनया. इन सभी के बीच दादा ने नए खिलाड़ियों को मौका दिया. उन्हे पता था कि भारतीय टीम का भविष्य युवाओं के हाथ में ही है.

दादा अपने एग्रेशन के लिए जाने जाते थे. वो विदेशी खिलाड़ियों की एक भी टिप्पणी नहीं सुनते थे. वो अपने बल्ले और गेंद के अलवा अपने तेवर के लिए भी जाने जाते थे. इसी वजह से उन्हें दादा कहा जाता है.

दादा ने 311 वनडे मैच में 40.73 की औसत से 11363 रन बनाए. वनडे में उनके नाम 22 शतक और 72 अर्धशतक शामिल है.

टेस्ट में सौरव ने 113 मैचों में 42.18 की औसत से 7212 रन बनाए. टेस्ट में 16 शतक, 35 अर्धशतक और 1 डबल सेंचुरी उनके नाम है.

सौरव के कुछ अनोखे रिकार्ड्स

➤विश्व कप में किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा  (183 रन) सर्वोच्चय व्यक्तिगत स्कोर दादा ने नाम है.

➤एकदिवसीय क्रिकेट में 10000 रने 100 विकेट और 100 कैच लेने वाले पांच क्रिकेटरों में से एक दादा हैं.

➤दादा उन 12 क्रिकट खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्होंने एक मैच में हाफ सेंचुरी लगाई हो और 5 विकेट भी लिया हो.

➤आईसीसी की चैंपियंस ट्रॉफी में 3 शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी दादा हैं.