Rahul Dravid Birthday: भारत के पूर्व महान बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने अपने जुझीरूपन से भारत को कई मैचों में जीत दिलाई है. उन्होंने टीम इंडिया के लिए एक दीवार की तरह काम किया और इसी वजह से उन्हें 'द वॉल' के नाम से बुलाया जाता है. द्रविड़ अब 52 के साल के हो चुके हैं और आज यानी 11 जनवरी को अपना जन्मदिन मना रहे हैं. एक बल्लेबाज के तौर पर उन्होंने कई उपतब्धियां हासिल की और इसके बाद कोचिगं करते हुए टीम इंडिया को टी-20 विश्व कप 2024 में जीत दिलाई.
अपनी तकनीकी कुशलता, मानसिक दृढ़ता और मुश्किल हालात में टीम को संभालने की क्षमता के लिए मशहूर हैं. टेस्ट क्रिकेट में उनके योगदान को याद करते हुए, यहां उनकी पांच सबसे बेहतरीन पारियों का जिक्र किया गया है. वैसे तो द्रविड़ वने कई मौकों पर भारत के लिए अहम पारियां खेली हैं लेकिन उनके जन्मदिन के मौके पर हम राहुल के द्वारा टेस्ट क्रिकेट में खेली गई टॉप-5 वेस्ट पारियों पर नजर डालने वाले हैं.
233 बनाम ऑस्ट्रेलिया, एडिलेड, 2003
यह पारी राहुल द्रविड़ की धैर्य और जुझारूपन का शानदार उदाहरण है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मुकाबले में उन्होंने जेसन गिलेस्पी और स्टुअर्ट मैकगिल जैसे तेज गेंदबाजों के सामने भारतीय पारी को संकट से उबारा. उनकी 233 रनों की शानदार पारी ने भारत को एक ऐतिहासिक जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
180 बनाम ऑस्ट्रेलिया, कोलकाता, 2001
यह पारी टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़ी वापसी में से एक का हिस्सा थी. जब भारत को फॉलो-ऑन खेलने के लिए मजबूर किया गया था, तब द्रविड़ ने वीवीएस लक्ष्मण के साथ 376 रनों की साझेदारी की. उनकी 180 रनों की पारी ने न केवल भारत को हार से बचाया, बल्कि टीम को एक यादगार जीत दिलाई.
148 बनाम इंग्लैंड, हेडिंग्ले, 2002
हेडिंग्ले के चुनौतीपूर्ण माहौल में द्रविड़ ने 148 रनों की पारी खेली, जो उनकी तकनीकी क्षमता का प्रमाण है. स्विंग और सीम के अनुकूल पिच पर उनकी यह पारी भारत की बड़ी जीत की नींव बनी. यह प्रदर्शन यह दिखाता है कि द्रविड़ किसी भी परिस्थिति में खुद को ढाल सकते थे.
270 बनाम पाकिस्तान, रावलपिंडी, 2004
राहुल द्रविड़ की 270 रनों की पारी टेस्ट क्रिकेट में धैर्य और एकाग्रता का अद्भुत उदाहरण है. 12 घंटे से ज्यादा क्रीज पर टिके रहकर उन्होंने भारतीय टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाया. यह पारी भारत की पहली पाकिस्तान में टेस्ट सीरीज जीत की आधारशिला बनी.
103* बनाम इंग्लैंड, लॉर्ड्स, 2011
लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर खेली गई यह नाबाद शतक पारी द्रविड़ की तकनीकी परिपक्वता का प्रमाण है. जब अन्य भारतीय बल्लेबाज संघर्ष कर रहे थे, तब उन्होंने पूरी पारी को संभाला और टीम को सम्मानजनक स्थिति में पहुंचाया.