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इमरान जब-जब बिखरे, दोगुनी रफ़्तार से निखरे! कहानी पिच से पॉलिटिक्स तक की

Imran Khan: कहानी इमरान खान की. पहले क्रिकेट में जादू दिखाया. फिर सियासी पिच पर खुलकर खेले और प्रधानमंत्री बने, कुर्सी जाने के बाद जेल गए. अब जेल के अंदर रहकर आम चुनाव में हीरो बने. पढ़िए इस चैंपियन की कहानी...

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Bhoopendra Rai
 Imran Khan

Imran Khan: साल था 1987... इस साल हुए क्रिकेट वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पाकिस्तान की करारी हार हुई थी, जिससे पाक की अवाम के साथ कप्तान इमरान खान निराश थे. हार से दुखी कप्तान ने अचानक संन्यास का ऐलान कर दिया...सभी को लगा उनका खेल खत्म, लेकिन इमरान का यह फैसला इतिहास बनाने वाला था. पाक की आवाम ने अपने स्टार कप्तान ने संन्यास के फैसले को वापस लेने की मांग की. यही नहीं तत्कालीन राष्ट्रपति जिया-उल-हक ने भी उन्हें मनाया. जिसके बाद इमरान ने अपना फैसला बदला और वापस मैदान पर लौटे. ये वही फैसला था जिसके बाद क्रिकेट की पिच का हीरो आज पाकिस्तान की सियासत का सबसे बड़ा 'किंग' बनकर उभरा है.

हारकर जीतने वाले को इमरान खान कहते हैं

शाहरुख खान की फिल्म 'बाजीगर' का एक फेमस डायलॉग है कि 'कभी-कभी जीतने के लिए कुछ हारना भी पड़ता है और हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं.' यह डायलॉग इमरान खान पर सबसे सटीक बैठता है, 1987 के विश्व कप में मिली हार के बाद संन्यास के बाद वापसी का फैसला उनके लिए मील का पत्थर साबित हुआ. वो वापस लौटे और 1992 के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को चैंपियन बना दिया. ये पहला मौका था जब पाकिस्तान विश्व विजेता बना था. यहीं से इमरान खान पाकिस्तान के लोगों के दिलों में राज करने लगे. उन्होंने 39 साल की उम्र में पाकिस्तान को पहला और एकमात्र विश्व कप जिताया.

क्रिकेट का स्टाइलिश कप्तान, स्वैग का किंग

करियर में 88 टेस्ट, 175 वनडे खेलने वाले इमरान खान पाकिस्तान के दिग्गज ऑलराउंडर रहे. क्रिकेट पिच पर उनका स्वैग देखते ही बनता था. वो आते ही पाकिस्तान ही नहीं पूरी दुनिया में छा गए थे. क्रिकेट मैदान पर उनका एग्रेशन और कहर बरपाती गेंदबाजी को लोगों ने खूब पसंद किया. लंबी कद काठी का यह लड़का जब भी मैदान पर उतरता था तो स्टेडियम उनके नाम से गूंजने लगता था. इमरान एक ऐसे क्रिकेटर थे, जिन्होंने बहुत कम समय में लोगों के दिलों में जगह बनाई थी. 1971 में डेब्यू करने वाले इस दिग्गज ने पाकिस्तान के लिए 1992 तक क्रिकेट खेला. अपने करियर में उन्होंने 7516 रन बनाए और 544 विकेट निकाले.

लाहौर से लेकर कराची छाए इमरान खान

इमरान खान को 'मुकद्दर का सिकंदर' कहा जाएगा तो कम नहीं होगा. एक ऐसा शख्स जो अमीर खानदान में पैदा हुआ, ऑक्सफोर्ड में पढ़ा, गठीला बदन और नवाबी स्टाइल, जिसकी चर्चा पाकिस्तान के साथ-साथ पूरी दुनिया में हो रही है, क्योंकि जेल की चार दिवारी में बंद होकर भी इस शख्स ने पाकिस्तान की आवाम पर अपनी ऐसी छाप छोड़ी है कि लाहौर से लेकर कराची तक और इस्लामाबाद से लेकर रावलपिंडी तक हर कोई बस इमरान खान, इमरान खान कर रहा है. पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में अवाम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो अपने 'कप्तान' को कभी भूल नहीं सकती. 

बिना 'बल्ले' के उड़ाए विरोधियों के 'छक्के'

पाकिस्तान के आम चुनावों में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने बिना 'बैट' के भी ऐसी बैटिंग की, जिससे विरोधियों के छक्के छूट गए और इमरान एक बार फिर सबसे बड़े कप्तान बनकर उभरे हैं. इस चुनाव के जरिए जेल में बंद इमरान खान पाकिस्तान के साथ-साथ पूरी दुनिया में यह मैसेज देने में कामयाब हुए हैं कि वो आज भी पाकिस्तान की जनता के दिलों में राज करते हैं. पाकिस्तान के आम चुनाव में कुल 265 सीटों पर चुनाव हुए. किसी भी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, लेकिन जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने सबसे ज्यादा 101 सीटों पर जीत दर्ज की है. इमरान खान समर्थक की पार्टी को निरस्त करार दिया गया था, इसलिए इस चुनाव में उनके समर्थक निर्दलीय तौर पर चुनावी मैदान में उतरे और जलवा दिखाया.

जब क्रिकेट से राजनीति की पिच पर उतरे थे इमरान 

1992 में पाकिस्तान को वर्ल्ड कप जिताकर इमरान खान पूरे मुल्क में छा गए. वह उस वक्त दुनिया में पाकिस्तान के सबसे चर्चित शख्स थे. लिहाज उनकी लोकप्रियता को देखते हुए पाक के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने उन्हें राजनीति में आने के लिए कहा था, लेकिन तब इमरान ने ऐसा करने से मन कर दिया. लेकिन इमरान सियासत से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह पाए और 1998 में उन्होंने अपनी पार्टी 'पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ' की स्थापना करते हुए राजनीति में एंट्री मारी. जिसके बाद उनका पूरा करियर क्रिकेट की पिच से सियासत की पिच पर शिफ्ट हो गया.

 Imran Khan
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2018 में पहली बार बने थे प्रधानमंत्री

क्रिकेट की तरह सियासत में भी इमरान ने जलवा दिखाया और अपना लोहा मनवाया. 2018 में क्रिकेट का यह कप्तान मुल्क का 'वजीर-ए-आजम' बन गया. हालांकि जिस सेना ने इमरान खान को शिखर पर बैठाया था, उसी सेना ने तकरार बढ़ने के बाद जमीं पर गिरा दिया. यहां तक की उनकी सरकार गिरी और आज वो जेल मे हैं. उन्हें अलग-अलग मामलों में दोषी पाया गया है.

सेना ने पहले चुनाव में हीरो बनाया, पटरी नहीं बैठी तो छिन गई कुर्सी

इमरान खान को पाकिस्तान की पीएम बनाने में सेना का बड़ा योगदान था. साल 2018 में पाकिस्तान की मिलिट्री वहां की दो मुख्य राजनीतिक पार्टियों 'पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी' को सेना ठीक से कंट्रोल नहीं कर पा रही थी. ऐसे में वो देश की सत्ता चलाने के लिए ऐसे शख्स को लेना चाहती थी जो मशहूर हो, लोग उसे पसंद करते हैं और काबित हो. सेना ने जब इस बारे में सोचा तो उसकी नजर इमरान खान पर गई. इमरान वही शख्स थे  PPP और PML दोनों पार्टियों को सत्ता से बाहर कर सकते थे. 

जब प्रधानमंत्री बने थे इमरान खान

इमरान का विजन और विचार सेना को पसंद था, क्योंकि वो उर्दू और अंग्रेजी में भाषण देते हुए लोगों को पाकिस्तान को महान बनाने का सपना दिखाते थे. इधर सेना ने पाकिस्तान की दोनों पार्टियों  PPP और PML को लेकर लोगों के मन में नफरत भरी थी. इसी का नतीजा हुआ कि 2018 के आम चुनाव में इमरान की पार्टी को बहुमत से 24 सीटें कम मिलीं, सेना भी यही चाहती थी. इसके बाद सेना की मदद से इमरान ने 3 पार्टियों से गठबंधन किया और पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. पाकिस्तान के पीएम बनने के बाद इमरान खान अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. साल 2022 में उनकी सरकार गिर गई. 

 Imran Khan
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ऐसे गिरी थी इमरान खान की सरकार

बताया जाता है कि जिस सेना ने उन्हें हीरो बनाया था, उसी ने उनका खेल कर दिया. क्योंकि इमरान लोगों के बीच अपनी पकड़ होने का दावा करते हुए इस बात से इनकार करते रहे कि उन्हें सत्ता में लाने के पीछे सेना थी. बताया तो ये भी गया कि 3 साल तक सेना के साथ काम करके इमरान चाहते थे कि उनके साथ मिलिट्री जूनियर पार्टनर बनकर ही रहे. अप्रैल 2022 में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव लगाया गया था, जिसकी वोटिंग में इमरान खान को हार मिली. कुल 342 सदस्यीय सदन में विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिल गया था, इस तरह इमरान खान की कुर्सी छिन गई और शहबाज शरीफ नए प्रधानमंत्री बने थे.

ऐसा था इमरान का बचपन 

इमरान खान का जन्म 25 नवंबर 1952 को लाहौर में हुआ था, उनका पूरा नाम 'इमरान खान नियाजी' था. उनके पिता इकरमुल्लाह खान नियाजी पेशे से सिविल इंजीनियर थे. बचपन में बेहद शर्मीले रहे इमरान एक अमीर खानदान में पैदा हुए थे, लिहाजा उनकी स्कूलिंग इंग्लैंड के रॉयल ग्रामर स्कूल से हुई थी, जहां उन्होंने सबसे पहले क्रिकेट सीखा था. 1972 में वह दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचे और पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स में डिग्री हासिल की, इसी दौरान इमरान की रुचि क्रिकेट के साथ-साथ राजनीति में भी बढ़ती गई. क्रिकेट और राजनीति के अलावा इमरान का नाम विवादों से भी जुड़ा जहां पहली बार उनके अफेयर के चर्चे शुरू हुए थे. 

इमरान पर फिदा थी लड़कियां

एंग्री यंग मैन, लंबी कद-काठी और उनकी मनमोहक मुस्कान पर लड़कियां फिदा थीं. क्रिस्टिएन बैकर, सुसान्नाह कॉन्सटेनटाइन, एमा सर्जेंट और सीता व्हाइट जैसी चर्चित लड़कियां उनकी गर्लफ्रेंडों की लिस्ट में शामिल रही हैं. इमरान की लाइफ में कई महिलाएं आईं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व प्रधानमंत्री (बेनजीर भुट्टो) से अफेयर की हुई. जिसके चलते आगे चलकर उनकी इमेज प्ले ब्वॉय की बन गई. इमरान खान ने तीन शादियां की हैं. 

इमरान खान का अफेयर पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के साथ भी रहा है. जिसका खुलासा इमरान की बायोग्राफी में हुआ था. बात 1975 की है, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान बेनजीर भुट्टो 21 साल की थीं. इस दौरान उनकी दोस्ती इमरान से हुई. फिर दोनों रिलेशनशिप में आ गए थे. हालांकि 2009 में जब यह किस्सा लोगों के सामने आया था, तो इसे झूठा भी बताया गया था.