तीसरे टेस्ट के पहले दिन लॉर्ड्स में उस समय बड़ा बदलाव देखने को मिला जब 34वें ओवर में ऋषभ पंत को जसप्रीत बुमराह की गेंद पर डाइव लगाते वक्त उंगली में चोट लग गई. इसके बाद उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा. पंत की अनुपस्थिति में युवा खिलाड़ी ध्रुव जुरेल ने विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद कई प्रशंसकों को यह जानने में दिलचस्पी हुई कि क्या यह नियमों के तहत वैध है?
दरअसल, ICC के नियम 24.1.2 के अनुसार, कोई भी सब्स्टिट्यूट खिलाड़ी बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी या कप्तानी नहीं कर सकता, लेकिन यदि अंपायर की अनुमति हो, तो वह विकेटकीपिंग कर सकता है. 2017 से MCC ने यह नियम जोड़ा है कि अगर कोई खिलाड़ी चोटिल या बीमार हो, तब अंपायर की अनुमति से एक सब्स्टिट्यूट विकेटकीपर मैदान में उतर सकता है. इसी नियम के तहत जुरेल को अनुमति दी गई.
यह एक महत्वपूर्ण सवाल था जो फैंस के मन में आया. लेकिन क्रिकेट के मौजूदा नियम इस पर स्पष्ट हैं- कोई भी सामान्य सब्स्टिट्यूट खिलाड़ी बल्लेबाज़ी या गेंदबाज़ी नहीं कर सकता. केवल कंकशन सब्स्टिट्यूट (सिर की चोट के मामले में) या कोविड-19 सब्स्टिट्यूट को ही मैच के बीच में बल्लेबाज़ी/गेंदबाज़ी की अनुमति दी जाती है.
भले ही ध्रुव जुरेल एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ हैं, लेकिन वो ऋषभ पंत की जगह बल्ला नहीं उठा सकते. ICC ने अक्टूबर 2025 से प्रथम श्रेणी घरेलू मैचों में पूर्ण सब्स्टिट्यूट खिलाड़ियों की छह महीने की ट्रायल योजना प्रस्तावित की है, लेकिन यह नियम अभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर लागू नहीं होता.
यदि ऋषभ पंत चोट के कारण दोबारा बल्लेबाज़ी के लिए मैदान में नहीं लौटते, तो भारत की बल्लेबाज़ी क्रम में एक खिलाड़ी की कमी हो जाएगी. यह टीम के लिए बड़ा झटका होगा, खासकर तब जब पंत इस सीरीज़ में बेहतरीन फॉर्म में रहे हैं- दो शतक और एक अर्धशतक उनके नाम है.
इस स्थिति में ध्रुव जुरेल केवल विकेटकीपिंग कर सकते हैं, लेकिन टीम के स्कोर में कोई योगदान नहीं दे पाएंगे. भारत को अपनी प्लेइंग इलेवन में रणनीतिक बदलाव करने पड़ सकते हैं. टीम की बल्लेबाज़ी गहराई और संयोजन प्रभावित हो सकता है, जो मैच के नतीजे पर सीधा असर डाल सकता है.