Dangerous Fish: वर्तमान समय में नॉन वेज खाने वालों की संख्या तेजी के साथ बढ़ी है. बहत से लोग मछली खाना बहुत पसंद करते हैं. मछली खाने का एक ऐसा मामला सामने आया जिसे जानने के बाद आप मछली खआना छोड़ देगें. दरअसल, अमेरिका के कैलिफोर्निया में मछली खाने के बाद एक महिला को अपने हाथ और पैर कटवाने पड़े हैं.
बताया जा रहा है कि महिला ने तिलापिया नाम की एक मछली खाई थी, जिसके बाद उसके शरीर में विब्रियो वल्निकस नाम का बैक्टीरिया फैल गया. इसके बाद उसका शरीरी संक्रमित होने लगा. संक्रमण उसके शरीर के कई हिस्सों में पहुंच गया. महिला की जान बचाने के लिए डॉक्टरों को उसके हाथ और पैर काटने पड़ें.
मछली खाते समय बहुत सावधानी के बरतनी चाहिए क्योंकि इनमें मरकरी (Mercury) पाई जाती है, जो हमारे शरीर के लिए बेहद खतरनाक होती है. किसी मछली में कम तो किसी में ज्यादा मात्रा में मरकरी पाई जाती है. कई मछलियों में पाई जाने वाली मरकरी में कार्बनिक कंपाउंड का स्तर ज्यादा पाया जाता है. मरकरी हमारे नर्वस सिस्टम को बहुत नुकसान पहुंचाता है.
बहुत से लोगों को मरकरी पॉइजनिंग हो जाती है लेकिन उन्हें पता नहीं होता. इसके कई लक्षण है, जिनसे आप पता कर सकते हैं कि आपको मरकरी पॉइजनिंग हो गई है.
अगर आपके हाथों और पैरों में झुनझुनी हो रही है, चलने-फिरने में परेशानी आ रही है, शरीर में कमजोरी महशूस हो रही है, बोलने या सुनने में समस्या आदि लक्षण ये बताते हैं कि आप मरकरी पॉइजनिंग के शिकार हो गए हैं.
हमें हाई मरकरी वाली मछलियां खाने से बचना चाहिए. इससे हमारी सेहत खराब हो सकती है. इनमें किंग मैकेरल, शार्क, स्वोर्डफिश, टाइलफिश, टूना जैसी मछलियां शामिल हैं. कोशिश करें ऐसी मछलियां न खाएं.
जिन मछलियों में मरकरी की कम मात्रा पाई जाती है उनका सेवन किया जा सकता है. इनमें साल्मन, सार्डिन, तिलापिया, कैटफिश, कॉड, शेलफिश आदि मछिलयों में मरकरी का लेवल कम होता है.
कई मछलियां ऐसी होती है जिनमें मरकरी की मात्रा औसत होती है. न तो ज्यादा औ न ही कम. कार्प, अटलांटिक ओशियन, टाइलफिश, ग्रूपर, यैलोफिन टूना, अल्बकोर टूना जैसी मछलियों में मरकरी की मात्रा एवरेज होती है.
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