स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल डॉक्टर पिछले दो सौ सालों से कर रहे हैं, लेकिन अब इस पारंपरिक उपकरण को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने नई पहचान दी है. लंदन में विकसित किया गया एआई स्टेथोस्कोप न केवल दिल की धड़कनों की बारीकियों को पकड़ता है बल्कि त्वरित ईसीजी भी करता है. यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी की मैड्रिड में हुई वार्षिक बैठक में इस तकनीक का प्रदर्शन किया गया और इसके नतीजे हैरान करने वाले रहे.
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल की बीमारियों में सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि मरीज अक्सर तब तक डॉक्टर के पास नहीं पहुंचते जब तक स्थिति गंभीर न हो जाए. ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की क्लिनिकल डायरेक्टर और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सोन्या बाबू-नारायण ने कहा कि यह तकनीक समय रहते बीमारी पकड़ने में मदद करेगी. शुरुआती स्तर पर इलाज शुरू होने से मरीज लंबी उम्र तक सामान्य जीवन जी सकते हैं.
यह नया उपकरण दिल की धड़कन और रक्त प्रवाह में आने वाले बेहद सूक्ष्म बदलावों का विश्लेषण करता है, जिन्हें मानव कान नहीं सुन पाता. इसके साथ ही यह तुरंत ईसीजी भी करता है, जिससे डॉक्टरों को एक ही समय पर विस्तृत रिपोर्ट मिल जाती है. पारंपरिक स्टेथोस्कोप की तुलना में यह तकनीक ज्यादा सटीक और तेज है, जो केवल 15 सेकंड में रिपोर्ट दे देती है.
करीब 12,000 मरीजों पर किए गए अध्ययन में इस उपकरण की उपयोगिता स्पष्ट रूप से सामने आई. जिन मरीजों की जांच इस एआई स्टेथोस्कोप से की गई, उनमें हार्ट फेलियर के मामलों की पहचान दोगुनी तेजी से हुई. एट्रियल फाइब्रिलेशन की पहचान तीन गुना और हार्ट वाल्व डिजीज की पहचान लगभग दो गुना अधिक रही. इससे साबित होता है कि यह तकनीक बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य व्यवस्था को बदल सकती है.
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक स्टेथोस्कोप नहीं, बल्कि भविष्य की स्वास्थ्य क्रांति है. जिस तरह स्मार्टफोन ने संचार की दुनिया बदल दी, उसी तरह एआई आधारित यह उपकरण हृदय रोग निदान के क्षेत्र में नई दिशा तय करेगा. अगर इसे व्यापक स्तर पर अपनाया गया तो लाखों लोगों को समय रहते इलाज मिल सकेगा और असंख्य जिंदगियां बचाई जा सकेंगी.