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India Daily

Burkina Faso Attack: अफ्रीका में फिर बरसा आतंक का कहर, जिहादियों ने 100 से ज्यादा लोगों को मारा

Burkina Faso Attack: साहेल के विशेषज्ञ और सौफान सेंटर के वरिष्ठ अनुसंधान फेलो वसीम नस्र ने बताया कि हालिया हमला बुर्किना फासो में जेएनआईएम की बढ़ती ताकत और प्रभावी पहुंच को स्पष्ट रूप से दर्शाता है.

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Edited By: Ritu Sharma
Burkina Faso Attack
Courtesy: Social Media

Burkina Faso Attack: अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में स्थित बुर्किना फासो में रविवार को हुए भीषण जेहादी हमले में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई. हमले की जिम्मेदारी अल-कायदा से जुड़ा संगठन जमात नस्र अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन (JNIM) ने ली है. मृतकों में बड़ी संख्या में सैनिक और सहायताकर्मी शामिल हैं.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, सबसे बड़ा हमला जिबो शहर और उसके आसपास के सैन्य अड्डों पर हुआ. एक छात्रा ने बताया कि इस हमले में उसके पिता की भी मौत हो गई. जबकि एक स्थानीय सहायताकर्मी ने कहा, ''हमले जिबो समेत आठ इलाकों में सुबह 6 बजे एकसाथ शुरू हुए. जेएनआईएम के लड़ाकों ने पहले शहर की सभी एंट्री चौकियों पर कब्जा किया, फिर विशेष आतंकवाद निरोधक इकाई के सैन्य शिविर पर धावा बोला.''

सुरक्षा बलों की नाकामी और हवाई सहायता का अभाव

बता दें कि हमले के दौरान बुर्किना फासो की सेना की तरफ से कोई हवाई सहायता नहीं मिल सकी, जिससे हालात और बिगड़ गए. सुरक्षा विश्लेषक चार्ली वेर्ब ने बताया कि हमलावर कई घंटे तक इन इलाकों में डटे रहे. उन्होंने कहा, ''पहले ऐसे हमलों में सेना जेहादियों को खदेड़ देती थी, लेकिन इस बार सेना की कोई प्रतिक्रिया नजर नहीं आई.''

जेएनआईएम की बढ़ती पकड़ का संकेत

सौफान सेंटर के वरिष्ठ रिसर्च फेलो और साहेल मामलों के विशेषज्ञ वसीम नस्र ने कहा, ''जिबो जैसे रणनीतिक शहर पर हमला इस बात का सबूत है कि जेएनआईएम अब बुर्किना फासो में खुलकर घूम सकता है. यह उनकी बढ़ती ताकत और विस्तार को दर्शाता है.''

सरकार की रणनीति पर उठे सवाल

वहीं, बुर्किना फासो की मौजूदा सैन्य सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं. विश्लेषकों का मानना है कि खराब तरीके से प्रशिक्षित मिलिशिया में आम नागरिकों की भर्ती करने से जातीय तनाव और हिंसा बढ़ रही है. 2022 के दो सैन्य तख्तापलट भी इस अस्थिरता की ही परिणति थे. 

बताते चले कि, 23 मिलियन आबादी वाला यह देश अब भीषण सुरक्षा संकट से गुजर रहा है. आधे से ज्यादा भूभाग पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है और मानवाधिकार संगठनों ने सरकारी बलों पर भी न्यायेतर हत्याओं के आरोप लगाए हैं.