India Sri Lanka Relation: भारत के दोस्त श्रीलंका ने चीन को तगड़ा झटका दिया है. श्रीलंका द्वारा जारी हालिया बयान में कहा गया है कि बीजिंग के विरोध के बाद भी कोलंबो अपने बंदरगाहों पर ईंधन भरने के लिए विदेशी अनुसंधान जहाजों को अनुमति देगा. बीते दिनों जर्मनी का एक सर्वे जहाज उसके बंदरगाह पर ईंधन भरने के लिए रुका था जिस पर चीन ने कड़ा विरोध जताया था. कोलंबो के अधिकारी ने कहा कि श्रीलंका ने अपने समुद्री तटों पर जासूसी या सर्वे वाले जहाजों के ठहरने पर रोक लगाई है.
चीन लंबे समय से हिंद महासागर में जासूसी करने के लिए अपने अनुसंधान जहाजों को भेजा करता है. भारत और अमेरिका ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए श्रीलंका से इस पर ठोस कदम उठाने की मांग की थी. बीते दिनों कोलंबों ने जीन के जासूसी जहाज को अपने यहां ठहरने से मना कर दिया था. इसके बाद चीन के जहाज ने मालदीव में शरण ली थी. भारत ने बीजिंग की इस हरकत पर कड़ा विरोध जताया था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि वह विदेशी अनुसंधान जहाजों को ईंधन भरने के लिए अपने बंदरगाहों का इस्तेमाल करने की अनमुति देगा. भारत द्वारा सुरक्षा चिंता जाहिर करने के बाद रानिल सरकार ने पिछले साल अपतटीय अनुसंधान जहाजों पर एक साल का बैन लगा दिया था. श्रीलंकाई मीडिया के मुताबिक, विदेशी जहाजों पर बैन अनुसंधान उद्देश्यों को रोकने के लिए है न कि ईंधन फिर से भरने के लिए.
श्रीलंका ने फरवरी में चीनी अनुसंधान जहाज को कोलंबों में रुकने से मना कर दिया था. बीजिंग ने इसके लिए श्रीलंकाई सरकार से आग्रह भी किया था जिसे ठुकरा दिया गया था. हालांकि इस महीने के प्रारंभ में जर्मनी के सर्वे जहाज को अनुमति देने के बाद चीन ने कड़ा विरोध जताया है. चीन ने यह विरोध इसलिए जाहिर किया था क्योंकि श्रीलंका ने भारत के कहने पर यह प्रतिबंध लागू कर दिया था.