menu-icon
India Daily

Shubhanshu Shukla Space Return: शुभांशु शुक्ला की इस दिन घर वापसी तय, 7 दिन का होगा रिहैबिलिटेशन

Shubhanshu Shukla Space Return: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटेंगे और 7 दिन का रिहैबिलिटेशन करेंगे. उन्होंने Axiom-4 मिशन में भाग लिया और कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में सहायक होंगे. ISRO की निगरानी में उनका स्वास्थ्य स्थिर है और यह मिशन भारत के ‘गगनयान’ के लिए अहम अनुभव बन सकता है.

auth-image
Edited By: Km Jaya
Shubhanshu Shukla
Courtesy: Social Media

Shubhanshu Shukla Space Return: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला कैलिफोर्निया तट के पास 15 जुलाई, 2025 को पानी में उतरने साथ ही अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटेंगे. वह 7 दिन के विशेष रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम से गुजरेंगे, ताकि वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में फिर से खुद को ढाल सकें. वह Axiom-4 वाणिज्यिक मिशन का हिस्सा थे, जिसमें उनके साथ कमांडर पैगी व्हिटसन, स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की (पोलैंड) और टिबोर कापु (हंगरी) भी शामिल थे. यह दल 26 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचा था.

मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के मुताबिक NASA ने बताया कि यह दल 14 जुलाई को शाम 4:35 बजे ISS से अनडॉक करेगा. इसके बाद, क्रू ड्रैगन यान ऑर्बिटल मैनुवरिंग कर 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे IST पर कैलिफोर्निया के तट के पास स्प्लैशडाउन करेगा. पृथ्वी पर लौटने की इस प्रक्रिया में लगभग 17 घंटे लगेंगे.

शुभांशु शुक्ला की  मनोदशा 

ISRO के अनुसार, शुभांशु शुक्ला का स्वास्थ्य और मनोदशा अच्छी है और उनकी नियमित मेडिकल व साइकोलॉजिकल जांच की जा रही है. ISRO के फ्लाइट सर्जन पृथ्वी पर लौटने के बाद भी शुक्ला के रिहैबिलिटेशन कार्यक्रम की निगरानी करेंगे. इस पूरे मिशन पर ISRO द्वारा लगभग ₹550 करोड़ का निवेश किया गया है, जो 2027 के प्रस्तावित ‘गगनयान’ मिशन की तैयारी का हिस्सा है.

वैज्ञानिक प्रयोगों में लिया भाग 

ISS पर रहते हुए शुक्ला ने कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया. उन्होंने माइक्रोएल्गी पर एक प्रयोग किया, जो भविष्य में गहरे अंतरिक्ष मिशनों में भोजन, ऑक्सीजन और बायोफ्यूल का स्रोत बन सकता है. इसके अलावा उन्होंने, आंखों की मूवमेंट और समन्वय पर पड़ने वाले प्रभाव और अंतरिक्ष में मानव-पर्यावरण इंटरएक्शन जैसे अध्ययनों में योगदान दिया.

हृदय रोगियों के लिए लाभ

शुक्ला ने “फोटॉनग्राव” नामक एक न्यूरो-अनुकूलन अध्ययन में भी भाग लिया, जिसमें मस्तिष्क की गतिविधि मापी गई. यह अध्ययन अंतरिक्ष मिशनों और चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए भविष्य में उपयोगी सिद्ध हो सकता है. साथ ही, उन्होंने सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण और CO₂ स्तरों के हृदय प्रणाली पर प्रभाव का भी अध्ययन किया, जिससे पृथ्वी पर हृदय रोगियों को लाभ मिल सकता है. Peggy Whitson ने सोशल मीडिया पर बताया कि वह अंतिम दिनों का आनंद उठा रहे हैं, पुनर्हाइड्रेटेड श्रिम्प कॉकटेल और शुभांशु शुक्ला द्वारा लाया गया गाजर हलवा और आम का जूस शामिल था.