Israel Palestine Conflict: गाजा में जारी संघर्ष के बीच अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़ा मोड़ आ गया है. यूरोप का सबसे बड़ा देश फ्रांस अब फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने जा रहा है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 24 जुलाई को ये ऐलान किया, जिससे पूरी दुनिया की नजरें एक बार फिर इजरायल-फिलिस्तीन विवाद की ओर मुड़ गई हैं.
इस फैसले के बाद इजरायल में खलबली मच गई है. नेतन्याहू सरकार और इजरायली मंत्री खुलकर फ्रांस की आलोचना कर रहे हैं. वहीं, मैक्रों का कहना है कि गाजा में आम नागरिकों को मरने से बचाना सबसे जरूरी है और अब वक्त आ गया है कि फिलिस्तीन को उसका हक दिया जाए.
फ्रांस ने यह साफ कर दिया है कि वो फिलिस्तीन को अब एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में देखना चाहता है. राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस निर्णय को औपचारिक किया जाएगा.उनका मानना है कि गाजा में युद्धविराम, बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता सबसे जरूरी है.
पिछले साल जब हमास ने हमला किया था, तब फ्रांस ने इजरायल का खुलकर समर्थन किया था. लेकिन अब मैक्रों के सुर बदल गए हैं. गाजा में हो रहे हमलों और नागरिकों की मौतों को लेकर फ्रांस अब इजरायल पर खुलकर दबाव बना रहा है और चाहता है कि फिलिस्तीन को उसका अधिकार मिले.
फ्रांस के फैसले पर इजरायल की सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उपप्रधानमंत्री यारिव लेविन ने इसे फ्रांस के इतिहास पर 'काला धब्बा' बताया है. फ्रांस से इस कदम पर उखड़ते हुए वो कहते हैं कि यह फैसला आतंकवाद को खुली छूट देने जैसा है और अब वक्त आ गया है कि इजरायल पश्चिमी तट पर अपनी संप्रभुता और मजबूत करे.