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India Daily

शेख हसीना पर बांग्लादेश में मानवता के खिलाफ अपराध के मामलों में आरोप तय, ICT में चलेगा मुकदमा

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल (ICT) ने मानवता के खिलाफ अपराध के तहत आरोप तय कर दिए हैं. आरोप है कि पिछले वर्ष हुए एक बड़े जनआंदोलन के दौरान उनकी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई की, जिसमें सैकड़ों छात्र मारे गए. यह मामला अब गंभीर अंतरराष्ट्रीय और कानूनी मोड़ ले चुका है, जहां शेख हसीना समेत तीन लोगों के खिलाफ सुनवाई चल रही है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
Sheikh Hasina
Courtesy: WEB

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और लंबे समय तक सत्ता में रहीं शेख हसीना पर अब मानवता के खिलाफ अपराध के गंभीर आरोपों में मुकदमा चल रहा है. इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल ने इस केस में उन्हें औपचारिक रूप से आरोपी मानते हुए अभियोजन स्वीकार कर लिया है. यह मामला उस जनविरोध से जुड़ा है जिसमें शेख हसीना की सरकार के खिलाफ देशभर में व्यापक आंदोलन हुआ था और कई प्रदर्शनकारियों की जान गई थी.

बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल (ICT) की तीन सदस्यीय पीठ, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस गोलाम मोर्तुजा मोजुमदार कर रहे हैं, ने गुरुवार को शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को पांच अलग-अलग आरोपों में अभियुक्त घोषित किया. इन पर आरोप है कि इन्होंने पिछले वर्ष के जनआंदोलन के दौरान संगठित और योजनाबद्ध तरीके से प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई करवाई थी. बताया गया कि इस कार्रवाई में लगभग 1400 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश छात्र थे.

पूर्व पुलिस प्रमुख ने मानी गलती

इस मामले में पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून एकमात्र ऐसे अभियुक्त हैं जो फिलहाल जेल में बंद हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने अदालत में दोष स्वीकार कर लिया है और राज्य गवाह बनने की याचिका दायर की है. इसके विपरीत, शेख हसीना और असदुज्जमान खान इस समय न्यायालय की प्रक्रिया से अनुपस्थित हैं और उनके खिलाफ मुकदमा गैर-हाजिरी में चलाया जा रहा है. बताया गया है कि शेख हसीना पिछले वर्ष 5 अगस्त को भारत भाग गई थीं, जब एक बड़े जनआंदोलन के बाद उनकी सरकार को सत्ता से हटाया गया.

ट्राइब्यूनल में पेश हुए सबूत

बांग्लादेश के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा कि यह हमला पूरी तरह योजनाबद्ध और संगठित था. अदालत में उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से सभी सुरक्षा एजेंसियों और पार्टी कार्यकर्ताओं को आंदोलन को कुचलने का आदेश दिया गया था. इस्लाम के मुताबिक, यह केवल हिंसा नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ किया गया संगठित हमला था. इस केस में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट का भी उल्लेख हुआ, जिसमें कहा गया कि आंदोलन में 1400 से अधिक लोगों की मौत हुई.