नई दिल्ली: पाकिस्तान द्वारा श्रीलंका को भेजी गई राहत सामग्री एक बड़े विवाद में बदल गई है. चक्रवात दित्वा से श्रीलंका में आई भारी तबाही के बीच पाकिस्तान ने मानवीय सहायता भेजने का दावा किया था लेकिन जब कोलंबो के अधिकारियों ने इन सामग्रियों की जांच की, तो कई पैकेटों पर एक्सपायरी डेट मिली जो 2024 की थी. कुछ मेडिकल किट और खाद्य सामग्री पूरी तरह खराब पाई गई.
यह मामला सामने आते ही श्रीलंका में गुस्सा फैल गया और अधिकारियों ने पाकिस्तान से औपचारिक स्पष्टीकरण मांगा है. सोशल मीडिया पर लोगों ने पाकिस्तान को जमकर आलोचना का निशाना बनाया और इसे सहायता कूटनीति का मजाक कहा. पाकिस्तान की ओर से 29 नवंबर को एक नौसैना पोत श्रीलंका पहुंचा था. जहाज में खाद्य पैकेट, दवाएं, प्राथमिक चिकित्सा सामान, राशन और तंबू शामिल थे.
कोलंबो में पाकिस्तान के दूतावास ने 30 नवंबर को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि पाकिस्तान हमेशा श्रीलंका के साथ खड़ा है लेकिन जैसे ही अधिकारियों ने सामग्रियों की जांच की, पूरा मामला पलट गया. कई पैकेट एक्सपायर निकलने के बाद दूतावास ने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी, लेकिन तब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि को नुकसान हो चुका था.
यह कोई पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान पर राहत सामग्री को लेकर सवाल उठे हों. 2015 में नेपाल भूकंप के दौरान पाकिस्तान ने बीफ वाले भोजन पैकेट भेजे थे, जिससे नेपाल में कड़ी नाराजगी हुई थी. अब श्रीलंका का यह मामला पाकिस्तान की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी पर फिर से सवाल उठा रहा है.
श्रीलंका ने नाराजगी जताते हुए सभी विदेशी राहत सामग्रियों की जांच को और सख्त करने का फैसला लिया है. अधिकारियों का कहना है कि एक्सपायर या अनुपयोगी सामग्री भेजना न केवल आपदा के समय लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि देशों के बीच विश्वास भी कमजोर करता है.
दूसरी तरफ भारत ने श्रीलंका को समय पर और भरोसेमंद सहायता पहुंचाकर राहत कार्य में तेजी लाई है. भारत ने हवाई और समुद्री माध्यम से कुल 53 टन राहत सामग्री भेजी है. भारतीय नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त अभियान चलाते हुए 150 से अधिक लोगों को बचाया है.
भारत के NDRF की टीम अभी भी प्रभावित क्षेत्रों में लगी हुई है. भारत ने सचल अस्पताल, चिकित्सा दल, राशन और अन्य आवश्यक मदद तुरंत भेजकर श्रीलंका की बड़ी सहायता की है.