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India Daily

'लापता' इमरान खान पर बढ़ता जा रहा विवाद, इस्लामाबाद और रावलपिंडी में कर्फ्यू जैसे हालात

इमरान खान की स्थिति को लेकर पाकिस्तान में भारी विवाद बढ़ गया है. इस्लामाबाद और रावलपिंडी में धारा 144 लगा दी गई है. PTI समर्थक अदियाला जेल के बाहर धरना दे रहे हैं जबकि सरकार इसे सुरक्षा खतरा बता रही है.

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Edited By: Km Jaya
Imran Khan India daily
Courtesy: @Saracastic_SR X account

नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर पूरे देश में हलचल तेज हो गई है. इमरान खान की पार्टी PTI और उनके परिवार ने आरोप लगाया है कि सरकार और पाक आर्मी उनकी हालत छिपा रही है और उनके जिंदा होने का कोई सबूत नहीं दे रही है. प्रदर्शन इतना बढ़ गया कि इस्लामाबाद और रावलपिंडी में कर्फ्यू जैसे हालात बन गए हैं. 

लगातार आठवीं बार इमरान खान से मुलाकात की इजाजत न मिलने के बाद पार्टी नेताओं और समर्थकों में गुस्सा और डर दोनों बढ़ गया है. अफगानिस्तान की ओर से इमरान खान की कथित हत्या का दावा सामने आने के बाद यह मामला और गर्म हो गया है. इमरान खान के दोनों बेटों ने भी चिंता जाहिर की है और अपने पिता की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं. 

रावलपिंडी में क्या है स्थिति?

इसी बीच PTI के नेता और कार्यकर्ता रावलपिंडी की अदियाला जेल के बाहर रात भर धरने पर बैठे रहे जहां इमरान खान को रखा गया है. रिपोर्ट के अनुसार इस्लामाबाद जिला मजिस्ट्रेट ने दो महीने के लिए धारा 144 लागू कर दी है. रावलपिंडी में भी डिप्टी कमिश्नर ने तीन दिसंबर तक धारा 144 लगाने का आदेश दिया है. 

क्यों लगाया गया धारा 144?

शहबाज सरकार का उद्देश्य PTI समर्थकों को एक जगह इकट्ठा होने से रोकना है ताकि कानून व्यवस्था को संभाला जा सके. इस्लामाबाद प्रशासन की अधिसूचना के अनुसार अब जिले में रेड जोन सहित किसी भी सार्वजनिक स्थान पर पांच या उससे अधिक लोगों का जुटना प्रतिबंधित होगा. 

पार्टी के लोगों ने क्या उठाए सवाल?

PTI ने सोमवार को कहा कि वह इमरान खान से मुलाकात की अनुमति न मिलने के खिलाफ इस्लामाबाद हाई कोर्ट और अदियाला जेल के बाहर प्रदर्शन करेगी. पार्टी ने इमरान खान की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार उनसे मिलने के अधिकार को जानबूझकर रोक रही है जो गंभीर चिंता का विषय है.गौरतलब है कि 72 वर्षीय इमरान खान अगस्त 2023 से जेल में हैं और उन पर कई मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है. इस बीच उनके गायब होने या उनकी हालत को लेकर फैल रही जानकारी पाकिस्तान की राजनीति में एक बड़े संकट का रूप ले रही है.