नई दिल्ली: अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है और राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि वेनेजुएला किसी भी हालत में गुलामों वाली शांति स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि देश को ऐसी शांति चाहिए जिसमें समानता, आजादी और सम्प्रभुता हो. यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका की ओर से सैन्य दबाव बढ़ता जा रहा है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दिए गए कथित अल्टीमेटम की चर्चा तेज है.
रिपोर्टों के अनुसार ट्रंप ने पिछले महीने एक फोन कॉल में मादुरो से कहा था कि वे तुरंत पद छोड़ दें और इसके बदले उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षित रास्ता दिया जाएगा. दावा है कि मादुरो ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और इसके बदले कई काउंटर डिमांड रख दी जिनमें वैश्विक माफी और सेना पर नियंत्रण बनाए रखने की बात शामिल थी.
बताया जा रहा है कि इस कॉल के बाद दोनों पक्षों के बीच कोई और आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है. इसी बीच अमेरिकी नौसेना का कैरेबियन क्षेत्र में तैनाती अभियान 22वें सप्ताह में प्रवेश कर चुका है. अमेरिका का दावा है कि यह अभियान ड्रग नेटवर्क को निशाना बनाकर चलाया जा रहा है लेकिन वेनेजुएला का कहना है कि यह सीधे तौर पर शासन परिवर्तन की कोशिश है.
अब तक 80 से ज्यादा लोग अमेरिकी कार्रवाई में मारे गए हैं और इस पर वाशिंगटन के भीतर भी सवाल उठ रहे हैं. व्हाइट हाउस ने ट्रंप के अल्टीमेटम पर कोई पुष्टि नहीं की है लेकिन इतना जरूर कहा है कि राष्ट्रपति के पास कई विकल्प मौजूद हैं. कुछ रिपोर्टों में ग्राउंड ऑपरेशन की संभावना को भी नकारा नहीं गया है जिससे तनाव और बढ़ गया है.
वेनेजुएला ने ओपेक को भेजे पत्र में अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह वेनेजुएला के विशाल तेल भंडार पर नियंत्रण पाना चाहता है जो दुनिया का सबसे बड़ा भंडार माना जाता है. इसी बीच वेनेजुएला की राष्ट्रीय विधानसभा ने भी अमेरिकी कार्रवाइयों की जांच शुरू कर दी है और पहली बार यह स्वीकार किया है कि इन हमलों में उसके नागरिक मारे गए हैं.
कोलम्बिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने कार्टाजेना को बातचीत की संभावित जगह के रूप में प्रस्तावित किया है लेकिन न तो वेनेजुएला और न ही अमेरिका ने इस पर अब तक कोई प्रतिक्रिया दी है.