Support During Operation Sindoor: पाकिस्तान ने भारत के साथ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका से किसी भी तरह की मदद लेने के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है. पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने साफ कहा है कि इस संघर्षविराम के लिए अमेरिका या किसी तीसरे देश से मध्यस्थता नहीं करवाई गई थी. उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने खुद ही भारत से युद्धविराम की मांग की थी क्योंकि भारतीय हमलों से उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा.
डार का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार किए गए उन दावों के बिल्कुल विपरीत है जिनमें वे खुद को भारत और पाकिस्तान के बीच शांति कराने वाला बताते रहे हैं. ट्रंप ने कई मौकों पर कहा कि वाशिंगटन ने मध्यस्थता कर दोनों देशों के बीच युद्धविराम कराया और खुद को न्यूक्लियर वॉर रोकने वाला घोषित किया.
इशाक डार ने पाकिस्तानी मीडिया से कहा कि हमने अमेरिका या किसी अन्य देश से बातचीत कराने का अनुरोध नहीं किया. युद्धविराम का प्रस्ताव पाकिस्तान की ओर से रखा गया था. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से संपर्क जरूर किया था लेकिन केवल यह बताने के लिए कि वह खुद युद्धविराम चाहता है, न कि मध्यस्थता के लिए.
भारत ने भी लगातार यह स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं रही. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्रंप के दावों को अजीब और अनुचित बताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में भी कहा था कि संघर्षविराम भारत की शर्तों पर हुआ और इसमें किसी बाहरी ताकत की दखल नहीं थी.
इस बीच, पाकिस्तान ने संकेत दिए हैं कि वह भारत के साथ व्यापक वार्ता के लिए तैयार है. डार ने कहा कि इस वार्ता में कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. हालांकि भारत का रुख पहले की तरह ही सख्त है. भारत का कहना है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती. जब तक पाकिस्तान आतंकवादी ढांचे को खत्म नहीं करता और सीमा पार हमले नहीं रोकता, तब तक संवाद संभव नहीं है.
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हुई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी. इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर हमले किए. इस दौरान पाकिस्तान ने ड्रोन हमलों और भारी गोलाबारी की कोशिश की, लेकिन भारत ने कड़ा जवाब दिया. इसी बीच पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा और उसने युद्धविराम की अपील की.