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India Daily

चीन में बढ़ रहा है फेक ऑफिस का ट्रेंड, बेरोजगार लोगों से इस प्लान के जरिए हो रही ठगी!

चीन में इस समय आर्थिक मंदी चल रही है. इसी बीच कुछ नई तरह की कंपनियां सामने आ रही हैं, जो बेरोजगार लोगों को फर्जी काम करने का मौका दे रही हैं. मतलब, ये कंपनियां लोगों को ऐसा दिखाने में मदद करती हैं जैसे वे किसी नौकरी पर हैं, जबकि असल में वे बेरोजगार होते हैं.

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Edited By: Mayank Tiwari
China Employee
Courtesy: X

चीन में बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के बीच एक नया चलन तेजी से लोकप्रिय हो रहा है ‘फेक ऑफिस’. बीबीसी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में युवाओं की बेरोजगारी दर 14% से अधिक है, और लाखों पढ़े-लिखे युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. ऐसे में ‘नकली ऑफिस’ बेरोजगार युवाओं के लिए सामाजिक प्रतिष्ठा बनाए रखने का एक जरिया बन गया है. चीन के समाज में बेरोजगारी को शर्मिंदगी का प्रतीक माना जाता है, जिसके चलते युवा इन ऑफिसों में काम का दिखावा करने के लिए रोजाना पैसे खर्च कर रहे हैं.

चीन के डोंगगुआन शहर में 30 साल के शुई झोउ हर सुबह 9 बजे से रात 11 बजे तक एक डेस्क पर बैठते हैं. वे चाय पीते हैं, सहकर्मियों से बातें करते हैं, और कभी-कभी मैनेजर के साथ देर तक रुकते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि झोउ वहां काम नहीं करते, बल्कि काम करने का नाटक करते हैं. इसके लिए वे प्रतिदिन कंपनी को लगभग 30 युआन (लगभग 420 रुपये) चुकाते हैं.

‘फेक ऑफिस’ की क्या है हकीकत!

झोउ, जिनका फूड बिजनेस पिछले साल असफल हो गया था, वो कहते हैं, “यहां सब मिलकर काम करते हैं, बातें करते हैं, गेम्स खेलते हैं, और अक्सर साथ में डिनर भी करते हैं. इससे मुझे पहले से ज्यादा खुशी मिलती है. वे अपने माता-पिता को तस्वीरें भेजकर यह जताते हैं कि वे नौकरी कर रहे हैं.

डिग्री के लिए ली जा रही नकली इंटर्नशिप

शंघाई की 23 साल की शियाओवेन टांग ने बताया कि उनके विश्वविद्यालय ने डिग्री के लिए नौकरी या इंटर्नशिप का प्रमाण मांगा था. इसके लिए उन्होंने एक महीने के लिए ‘प्रिटेंड ऑफिस’ में सीट किराए पर ली, वहां बैठकर ऑनलाइन उपन्यास लिखे और तस्वीरें यूनिवर्सिटी को भेज दीं. इस तरह वे डिग्री की औपचारिकता पूरी करने में सफल रहीं.

‘इज्जत बेचने’ का कारोबार तेजी से फल फूल रहा

इस अनोखे बिजनेस के पीछे हैं फेइयू, जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान अपना रिटेल कारोबार खो दिया था. अप्रैल में उन्होंने ‘प्रिटेंड टू वर्क कंपनी’ शुरू की. फेइयू कहते हैं, “मैं डेस्क या वर्कस्टेशन नहीं बेच रहा, बल्कि इंसान को बेकार महसूस न होने की इज़्ज़त बेच रहा हूं.” उनकी कंपनी बेरोजगार युवाओं को सामाजिक सम्मान और आत्मविश्वास प्रदान करती है.

कौन हैं इन ऑफिसों के ग्राहक?

रिपोर्ट के अनुसार, इन नकली ऑफिसों में आने वाले 40% युवा डिग्री के लिए नकली इंटर्नशिप सर्टिफिकेट बनवाने वाले हैं, जबकि 60% फ्रीलांसर हैं, जो ऑनलाइन बिजनेस, ई-कॉमर्स या लेखन जैसे काम करते हैं. इनकी औसत उम्र 30 साल है, और सबसे कम उम्र 25 साल दर्ज की गई है.