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Iran-Israel war: अमेरिकी हमले से पहले ही ईरान ने कहां गायब कर दिया यूरेनियम?

इसराइल और ईरान युद्ध के बीच ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद दावा किया गया था कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह बर्बाद हो गया है. लेकिन सेटेलाइट तस्वीरों और इजरायली खुफिया एजेंसियों के अनुसार, ईरान ने अमेरिका के हवाई हमले से पहले ही अपने परमाणु ठिकानों से हथियार-स्तर के यूरेनियम को हटा लिया था. इस यूरेनियम की मात्रा इतनी अधिक थी कि इससे कई परमाणु बम बनाए जा सकते हैं. हालांकि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के “समाप्त” होने का दावा किया गया था, लेकिन इसके गायब होने से चिंताएँ और बढ़ गई हैं. अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह यूरेनियम कहाँ गया. विशेषज्ञों का मानना है कि इस गायब यूरेनियम का पता न चलना कूटनीतिक प्रयासों में रुकावट डाल सकता है और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के प्रयासों में देरी कर सकता है.

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Edited By: Gyanendra Sharma
यूरेनियम
Courtesy: web

दरअसल हमले से पहले की सेटेलाइट तस्वीरों में ईरान के फोर्डो परमाणु केंद्र के बाहर ट्रकों की लंबी लाइन दिखाई दे रही थी. लेकिन हमले के बाद, ये ट्रक पूरी तरह से गायब हो गए. यह वही यूरेनियम था, जिसे 60 प्रतिशत तक संवर्धित किया गया था, और जिसे युद्ध शुरू होने से एक हफ्ते पहले अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के निरीक्षकों ने देखा था. IAEA के प्रमुख राफेल ग्रोसी ने CNN से बातचीत में कहा, "ईरान ने कभी नहीं छिपाया कि उन्होंने इस सामग्री की सुरक्षा की है. जब उनसे पूछा गया कि क्या इसका मतलब है कि यूरेनियम कहीं और ले जाया गया, तो उन्होंने हां में जवाब दिया

अमेरिका का दावा- परमाणु कार्यक्रम नष्ट

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को दावा किया था कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम "पूरी तरह से नष्ट" कर दिया गया है. यह दावा अमेरिकी बलों द्वारा ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु ठिकानों पर बंकर-भेदी बम गिराने के बाद किया गया था. ईरान के परमाणु ठिकानों पर यह हमला सात B-2 स्पिरिट बॉम्बर्स और टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों मदद से 37 घंटे तक चला था. लेकिन अगले 24 घंटों में ही अमेरिकी अधिकारियों ने ट्रंप के दावों को कमजोर करते हुए कहा कि यूरेनियम अभी तक बरामद नहीं हुआ है. उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ABC न्यूज को बताया, “हम आने वाले हफ्तों में यह सुनिश्चित करेंगे कि उस ईंधन के साथ कुछ किया जाए."

हमले के बाद नहीं दिखे ट्रक

जानकारी के अनुसार 400 किलोग्राम (लगभग 880 पाउंड) यूरेनियम, जिसे 60 प्रतिशत तक संवर्धित किया गया था, आखिरी बार IAEA के निरीक्षकों द्वारा देखा गया था. मैक्सर टेक्नोलॉजीज द्वारा जारी सेटेलाइट इमेज में दिखाया गया है कि फोर्डो परमाणु स्थल के बाहर 16 ट्रक खड़े थे, लेकिन हमले के बाद इन ट्रकों का कोई निशान नहीं मिला. इजराइली अधिकारियों का मानना है कि वही संवर्धित यूरेनियम इन ट्रकों में लादकर कहीं और ले जाया गया है. वहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का कहना है कि यह ईंधन छोटे कैप्सूलों में रखा गया था, जिन्हें आसानी से साधारण कारों में छिपाया जा सकता था और शायद इसे इस्फहान स्थित किसी गुप्त परमाणु संयंत्र में स्थानांतरित किया गया होगा. इसके साथ ही IAEA प्रमुख राफेल ग्रोसी ने बताया कि ईरान ने युद्ध के दौरान सभी निरीक्षणों को निलंबित कर दिया था. उन्होंने UN सुरक्षा परिषद को आगाह किया कि "सैन्य संघर्ष बढ़ने से कूटनीतिक समाधान की संभावना घट जाती है." उनका कहना था कि ईरान ने अपनी सामग्री की सुरक्षा को लेकर पहले ही स्पष्ट किया था, और यह पुष्टि की थी कि यूरेनियम को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है.

वहीं अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और जनरल डैन केन ने पुष्टि की कि फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु ठिकानों पर "गंभीर क्षति और विनाश" हुआ है. इन ठिकानों पर 30,000 पाउंड के बमों से हमला किया गया था. हालांकि कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि कई सेंट्रीफ्यूज, जो यूरेनियम को संवर्धित करते हैं, अभी भी मलबे में मौजूद हो सकते हैं, क्योंकि ये मशीनें अत्यधिक भारी और संवेदनशील होती हैं और उन्हें हटाना आसान नहीं होता. वहीं पूर्व पेंटागन अधिकारी और CIA अफसर मिक मुलरॉय का कहना है कि इस हमले के परिणामस्वरूप ईरान के परमाणु कार्यक्रम को दो से पांच साल पीछे धकेला जा सकता है. हालांकि खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान पहले ही नतांज की जगह एक और गहरा भूमिगत संयंत्र बनाने का काम शुरू कर चुका है. इसके बावजूद, अब तक कोई सार्वजनिक सबूत नहीं है जो यह साबित करे कि ईरान सक्रिय रूप से परमाणु हथियार बना रहा है. अमेरिका और इज़राइल का दावा है कि ईरान फिर से परमाणु हथियार निर्माण में जुटा है, लेकिन ईरान इन सभी दावों को खारिज करता है.