इजरायल द्वारा दोहा (कतर) में किए गए हवाई हमले को लेकर भारत ने कड़ा रुख अपनाया है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत के राजनयिक अरिंदम बागची ने स्पष्ट कहा कि कतर की संप्रभुता का उल्लंघन अस्वीकार्य है. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे हमले पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को हिला सकते हैं.
भारत ने इजरायल की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए. अरिंदम बागची ने कहा कि भारत हमेशा बातचीत और कूटनीति के जरिये विवादों को सुलझाने का पक्षधर रहा है. उन्होंने कहा, 'किसी भी प्रकार की हिंसा और तनाव को बढ़ावा देने वाले कदमों से बचना चाहिए. हम शांति और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी तरह के आतंकवाद का विरोध करते हैं.' भारत ने यह भी दोहराया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर शांति की दिशा में काम करना चाहिए.
इजरायल ने दावा किया कि दोहा में किया गया हमला पूरी तरह से उसकी 'स्वतंत्र कार्रवाई' थी और इसमें किसी अन्य देश का हाथ नहीं था. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि यह हमला हमास के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया गया. हालांकि, बाद में ट्रंप प्रशासन की ओर से बयान आया कि अमेरिका को इस हमले की जानकारी पहले से थी और कतर सरकार को इसकी सूचना दी गई थी. इस पर भी विवाद गहरा गया क्योंकि अमेरिका और कतर लंबे समय से करीबी सहयोगी माने जाते हैं.
Breaking:
— Sidhant Sibal (@sidhant) September 16, 2025
"India deeply concerned about attacks on Doha, condemn the violation of sovereignty of Qatar", Indian envoy to the UN in Geneva @IndiaUNGeneva Arindam Bagchi @abagchimea tells UNHRC pic.twitter.com/2IH6Yxo1NO
कतर ने इजरायल के दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया और कहा कि इस हमले की पूर्व सूचना मिलने की खबरें 'बेबुनियाद' हैं. कतर सरकार ने इसे 'कायराना हमला' बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी और घोषणा की कि अब वह मध्यस्थता की भूमिका नहीं निभाएगा. कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने नेतन्याहू पर समय बर्बाद करने और पश्चिम एशिया क्षेत्र को अराजकता की ओर धकेलने का आरोप लगाया. उन्होंने चेतावनी दी कि इस हमले का जवाब क्षेत्रीय सहयोगी देश मिलकर देंगे.
इस पूरे घटनाक्रम ने पश्चिम एशिया की स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. भारत ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि ऐसे कदम न केवल शांति प्रयासों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकते हैं. भारत ने कतर और उसके नागरिकों के साथ एकजुटता जताते हुए कहा कि शांति और संवाद ही आगे का रास्ता है. यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि क्षेत्रीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव और गहराने वाला है.