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Biden Jinping Meet: बाइडन और जिनपिंग की अगले हफ्ते मुलाकात, क्या रिश्तों पर जमीं बर्फ पिघला पाएंगे दोनों नेता?

Biden Jinping Meet: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बुधवार को लगभग एक साल बाद पहली बार मिलेंगे. दोनों नेता सैन फ्रांसिस्को में होने वाले एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग ( APEC) के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.

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Edited By: Shubhank Agnihotri
Biden Jinping Meet:  बाइडन और जिनपिंग की अगले हफ्ते मुलाकात, क्या रिश्तों पर जमीं बर्फ पिघला पाएंगे दोनों नेता?

Biden Jinping Meet: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बुधवार को  लगभग एक साल बाद पहली बार मिलेंगे. व्हाइट हाउस के बयान के अनुसार,रिश्तों में जमीं बर्फ को पिघलाने के लिहाज से यह मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण होगी. दोनों नेता सैन फ्रांसिस्को में होने वाले एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग ( APEC) के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. इस दौरान दोनों देश प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे.


वैश्विक भलाई के लिए साथ काम करें


व्हाइट हाउस के अधिकारियों के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच इजरायल हमास वार, रूस-यूक्रेन युद्ध, ताइवान, चुनावी हस्तक्षेप मसलों पर बातचीत की जाएगी. बाइडन प्रशासन के अनुसार, ताइवान में अगले साल चुनाव होने हैं ऐसे में अमेरिका की ओर से चीन को संदेश देने की कोशिश होगी कि वह इन चुनावों से दूर रहे. इसके अलावा बाइडन और जिनपिंग के बीच बातचीत के केंद्र में हिंद प्रशांत क्षेत्र, मानवाधिकार से जुड़े मुद्दे और रूस और दक्षिण कोरिया के संबंध भी होंगे. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमारे संबंध कैसे हैं यह किसी से छिपा नहीं है. हम जानते हैं कि कुछ सालों से अमेरिका और बीजिंग के संबंधों में तनाव रहा है. हम उन्हें दूर करने के प्रयास कर रहे हैं. अमेरिका और चीन दुनिया की दो बड़ी महाशक्तियां हैं और हम चाहते हैं हम साथ मिलकर वैश्विक भलाई के लिए काम करें.


एक साल बाद दोनों की मुलाकात

अमेरिकी और चीनी राष्ट्रपति के बीच होने वाली यह मुलाकात बाली में हुए जी 20 शिखर सम्मेलन के बाद होगी. यह मुलाकात इन मायनों में और भी खास हो जाती है जब दोनों देशों के मध्य सैन्य प्रतिस्पर्धा चल रही हो. इसके अलावा दोनों देशों के मध्य स्पाई बैलून को लेकर भी तनाव है जिसे अमेरिकी फाइटर जेट ने नष्ट कर दिया था. स्पाई बैलून को नष्ट करने के बाद दोनों देशों के संबंध इतने तल्ख हो गए कि राजनयिक संबंधों के लिए खतरा पैदा हो गया था. इसके बाद अमेरिका ने चीन के प्रौद्योगिकी निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.

अमेरिका से चाहते हैं आश्वासन 


अमेरिका की ओर से भले ही चीन के साथ संबंधों को दुरुस्त करने की कोशिश दिखती हो, लेकिन चीन के ओर से ऐसे कोई भी प्रयास नहीं दिखाई देते. एक दिन पहले ही अमेरिका में चीनी रादजूत झी फेंक ने कहा था कि चीन अमेरिका से यह भरोसा चाहता है कि वह ताइवान में व्यवस्था को बदलने की हरकत नहीं करेगा. ताइवान चीन का हिस्सा है और इसे अलग करने का उनका कोई इरादा नहीं है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के बयान से दोनों देशों के मध्य कुछ खास बदलने वाला नही है.

 

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