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रातोंरात गायब हो गए थे इस गांव के लोग, आज भी है रहस्य...

Mysterious Village : भारत में एक ऐसा रहस्यमयी गांव भी है, जो सालोंसाल से वीरान पड़ा हुआ है. यहां के निवासी रातोंरात गायब हो गए थे. आज भी इस गांव में कोई नहीं रहता है. 

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Edited By: Mohit Tiwari
kuldhara

हाइलाइट्स

  • अब पुरातत्व विभाग की निगरानी में है यह गांव
  • पालीवाल ब्राह्मणों का था यह गांव

Mysterious Village : भारत के राजस्थान में स्थित जैसलमेर में एक ऐसा गांव भी है, जो लगभग 200 साल से वीरान पड़ा हुआ है. जैसलमेर शहर रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित है. शहर के बाहर सैकड़ों मील दूर तक यहां पर रेगिस्तान फैला हुआ है. यहां पर रेत के बड़े-बड़े टीले मौजूद हैं. 

इस शहर से कुछ मील की दूरी पर कुलधरा नाम का एक खूबसूरत गांव है, जो पिछले 200 साल से वीरान पड़ा हुआ है. कहा जाता है कि इस गांव के लोग 200 साल पहले रातोंरात अपना गांव छोड़कर गायब हो गए थे, इसके बाद वे वापस यहां पर कभी भी नहीं आए. 

ये है इस गांव की कहानी

स्थानीय परंपरा के अनुसार, करीब 200 साल पहले जैसलमेर में रजवाड़ों की एक रियासत थी. उस समय कुलधरा नाम का यह गांव सबसे खुशहाल था. यहां से काफी अधिक रेवन्यू आता था. यहां पर उत्सव और समारोह हुआ करते थे. इस गांव में पालीवाल ब्रह्माण रहते थे. इस गांव की एक लड़की की शादी होने वाली थी. वह लड़की बहुत ही खूबसूरत थी. जैसलमेर रियासत के दीवान सालिम सिंह की नजर उस लड़की पर पड़ गई. वह उस लड़की की सुंदरता का दीवाना हो गया. इस पर उसने उस लड़की से शादी की जिद की. 

स्थानीय कहानियों के अनुसार, सालिम सिंह एक अत्याचारी व्यक्ति था. उसकी क्रूरता की कहानियां दूर-दूर तक मशहूर थीं. इस बावजूद कुलधरा के लोगों ने सालिम सिंह को शादी के लिए मना कर दिया. गांव वालों को यह मालूम था कि उन्होंने सालिम सिंह की बात नहीं मानी तो वह कत्लेआम मचा देगा. इस कारण कुलधरा के लोगों ने गांव के मंदिर के पास स्थित एक चौपाल में पंचायत की और गांव की बेटी व सम्मान को बचाने के लिए हमेशा के लिए उस गांव को छोड़कर जाने का फैसला किया. सारे गांव वाले रात के सन्नाटे में अपना सारा सामान, मवेशी, अनाज और कपड़े आदि को लेकर उस गांव को छोड़कर हमेशा के लिए चले गए. 

पुरातत्व विभाग की निगरानी में है यह गांव

अब यह गांव पुरातत्व विभाग की निगरानी में है. जैसलमेर में आज भी साालिम सिंह की हवेली मौजूद है, लेकिन उसे कोई देखने नहीं आता है. कुलधरा गांव में कई सारे पत्थर के मकान बने हुए हैं. ये मकान अब धीरे-धीरे खंडहर बन चुके हैं. कुछ घरों में आज भी चूल्हे, बैठने की जगहों और घड़ों को रखने की जगहों को देखने से आज भी ऐसा लगता है कि जैसे अभी हाल में ही कोई इस गांव को छोड़कर गया हो. यहां की दीवारों से उदासी का अहसास होता है. 

सुनाई देती है कदमों की आहट

स्थानीय लोगों की मानें तो रात के सन्नाटे में कुलधरा के खंडहरों में किसी के कदमों की आहट सुनाई देती है. लोगों की मान्यताएं हैं कि कुलधरा के लोगों की आत्माएं आज भी यहां भटकती हैं. राजस्थान सरकार ने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए यहां के कुछ घरों को दोबारा से निर्मित किया है. गांव का मंदिर आज भी स्थित है. 

शापित है यह गांव

माना जाता है कि कुलधरा के लोग जब इस गांव को छोड़कर जा रहे थे तो उन्होंने इस गांव का श्राप दिया था कि यह गांव अब कभी नहीं बसेगा. उनके जाने के दो सौ साल बाद भी आज यह गांव रेगिस्तान के जैसलमेर में रेगिस्तान में वीरान पड़ा है. हर साल कई पर्यटक इस गांव को देखने आते हैं और यहां के लोग इस जगह का काफी सम्मान करते हैं.