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India Daily

'जातीय जनगणना का विरोध नहीं, सुनिश्चित करना चाहिए दरार न हो पैदा...', RSS ने बयान जारी करते हुए रुख किया साफ

जातीय जनगणना को लेकर RSS की तरफ से आधिकारिक बयान सामने आया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपना पक्ष साफ करते हुए कहा है कि वह जाति जनगणना का विरोध नहीं करता है.

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Edited By: Avinash Kumar Singh
Mohan Bhagwat

हाइलाइट्स

  • RSS ने बयान जारी करते हुए रुख किया साफ
  • 'जाति जनगणना करते समय यह सुनिश्चित करें दरार न हो पैदा'

नई दिल्ली: जातीय जनगणना को लेकर RSS की तरफ से आधिकारिक बयान सामने आया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपना पक्ष साफ करते हुए कहा है कि वह जाति जनगणना का विरोध नहीं करता है. RSS का साफ तौर मानना है कि जातीय जनगणना का इस्तेमाल समाज की प्रगति के लिए किया जाना चाहिए और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.

'जाति जनगणना करते समय यह सुनिश्चित करें दरार न हो पैदा'

RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने अपने ताजा बयान में कहा "जाति जनगणना करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे दरार पैदा न हो. RSS का प्रयास बिना किसी भेदभाव और असमानता से परे सामाजिक न्याय पर आधारित हिंदू समाज के निर्माण पर है. जाति आधारित जनगणना पर हमारी राय है कि इसका उपयोग समाज के समग्र विकास के लिए किया जाना चाहिए. ऐसा करते समय सभी दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी कारण से हमारे समाज की सामाजिक सद्भाव और एकता टूटे नहीं."

'RSS ऐसे उपायों का करता है समर्थन' 

सुनील अंबेकर ने अपनी प्रतिक्रिया में आगे कहा "यह सच है कि विभिन्न ऐतिहासिक कारणों से समाज के कई वर्ग आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं. विभिन्न सरकारों ने समय-समय पर ऐसे वर्गों के विकास और सशक्तिकरण के लिए योजनाएं और विशेष प्रावधान पेश किए हैं और RSS ऐसे उपायों का पूरा समर्थन करता है."

'जाति जनगणना से कुछ लोगों को राजनीतिक रूप से फायदा'

कुछ ही दिन पहले आरएसएस के पदाधिकारी श्रीधर गाडगे ने 19 दिसंबर को जनगणना का विरोध किया था. श्रीधर गाडगे ने बड़ा बयान देते हुए कहा "जाति जनगणना से कुछ लोगों को राजनीतिक रूप से फायदा हो सकता है क्योंकि यह एक निश्चित जाति की आबादी के बारे में डेटा प्रदान करेगा. यह सामाजिक और राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से वांछनीय नहीं होगा."

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RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति

जातीय जनगणना का मुद्दा विपक्ष का चुनावी हथियार 

कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं. यह मांग पिछले महीने के विधानसभा चुनावों के दौरान एक चुनावी मुद्दा भी बनी था. ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जातीय जनगणना का मुद्दा विपक्ष का सबसे बड़ा चुनावी हथियार हो सकता है. 

जातिगत जनगणना को मंडल 2.0 बनाने की लड़ाई 

बिहार सरकार की ओर से जातीय सर्वेक्षण के आंकड़े जारी करने के बाद जातिगत जनगणना की मांग जोर पकड़ रही है. ऐसे में कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन में शामिल समाजिक न्याय पर आधारित क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की कोशिश जातिगत जनगणना को मंडल 2.0 की लड़ाई बनाने की है. फिलहाल बीजेपी ने तीनों राज्यों में ओबीसी, आदिवासी और सामान्य वर्ग के नेताओं को CM बनाकर विपक्षी दलों की इस धार को कुंद कर दिया है.