क्रिकेट के दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने डीआरएस में अंपायर कॉल नियम को खत्म करने की वकालत की है. उन्होंने इस नियम को हटाने के पीछे का तर्क स्पष्ट किया है. 2009 में डीआरएस के लागू होने के बाद से "अंपायर कॉल" क्रिकेट का एक अभिन्न हिस्सा बन गया. इस नियम को लेकर कुछ लोग समर्थन में हैं, तो कुछ ने इसकी आलोचना की है. सचिन ने पहले भी इस नियम को हटाने की बात कही थी, और अब उन्होंने इसका कारण विस्तार से बताया.
अंपायर कॉल पर सचिन का तर्क
एक कार्यक्रम में सचिन ने कहा, "मैं डीआरएस में अंपायर कॉल नियम को बदलना चाहूंगा. खिलाड़ी मैदानी अंपायर के फैसले से असंतुष्ट होने पर ही समीक्षा के लिए जाते हैं. इसलिए, उस फैसले पर वापस जाने का कोई विकल्प नहीं होना चाहिए. जैसे खिलाड़ियों के खराब दौर होते हैं, वैसे ही अंपायरों के भी खराब दौर होते हैं. तकनीक अगर गलत है, तो वह लगातार गलत रहेगी."
अंपायर कॉल का मतलब
अंपायर कॉल तब लागू होता है, जब कोई टीम ग्राउंट अंपायर के फैसले को चुनौती देती है. यदि तकनीकी सबूत अनिश्चित हों, तो अंपायर के मूल फैसले को प्राथमिकता दी जाती है. उदाहरण के लिए, एलबीडब्ल्यू के मामले में, यदि गेंद का 1 से 50 प्रतिशत हिस्सा स्टंप्स को छू रहा हो, लेकिन बेल्स को नहीं, और गेंद का आधा हिस्सा बाहर हो, तो अंपायर का मूल फैसला बरकरार रहता है.