CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन न देने वाले इंडियन कोस्ट गार्ड के फैसले की आलेचना की है. सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की नियुक्ति से जुड़े एक मामले में अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसे भेदभाव खत्म होने चाहिए और समय के साथ चलना चाहिए. कोर्ट ने महला अधिकारी प्रियंका त्यागी पर फैसला देते हुए कहा कि उन्हें फिर से कोस्ट गार्ड में शामिल करना चाहिए.
प्रियंका त्यागी को साल 2021 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के अधिकारी के तौर पर बाहर की राह दिखाई गई थी. CJI चंद्रचूड़ ने महिलाओं को स्थाई कमीशन न देने के फैसले पर इंडियन कोस्ट गार्ड को फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन मिल चुका है, अब ये भेदभाव खत्म होना चाहिए.
सेना, नौसेना और वायु सेना में महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को अब स्थाई कमीशन में शामिल किया जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने अब इंडियन कोस्ट गार्ड को भी आदेश दिया है कि महिलाओं को करियर में समान अवसर दिए जाएं.
दिल्ली हाई कोर्ट से केस ट्रांसफर करने का आदेश
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिस्रा की बेंच ने महिला अधिकारी प्रियंका त्यागी की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट से ट्रांसफर करने का भी आदेश दिया.
जब आर्मी, नेवी, एयरफोर्स में परमानेंट कमीशन, तब कोस्ट गार्ड में क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'जब सशस्त्र बलों की अलग-अलग शाखाओं ने महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी को परमानेंट कमीशन की इजाजत दी है तो इंडियन कोस्ट गार्ड इससे अलग नहीं रह सकती है. अनुच्छेद 15के व्यापक संवैधानिक आदेश को देखते हुए याचिका पर सुनवाई की जरूरत है.' अनुच्छेद धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया अधिकारी की बहाली का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि क्या आप महिला अफसरों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं. आप याचिकाकर्ता को उसी पर नौकरी दें, जिस पद से उन्हें 2023 में बर्खास्त किया था.' जब अटॉर्नी जनरल आर और सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने त्यागी को स्थायी कमीशन से इनकार करने की वजह बताई तो बेंच ने कहा कि आपको समय के साथ चलना चाहिए.
अगर आप नहीं बनाएंगे नियम तो हम बनाएंगे
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि महिलाओं को स्थाई कमीशन न देने के तर्क, अब इस वक्त मायने नहीं रखते हैं. महिलाओं के लिए अगर आप सही नियम नहीं तय करेंगे तो हम बनाएंगे. ऐसे नियम बनाएं जिनमें महिलाओं को बराबरी मिले.