हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक फैसला दिया. पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिलाने वाले सर्टिफिकेट को रद्द करने वाले एक फैसले ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में खलबली मचा दी है. हाई कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक, 77 मुस्लिम जातियों को मिलने वाले ओबीसी के दर्ज को समाप्त कर दिया गया है. अब चुनाव पर इसके संभावित असर को ध्यान में रखा जा रहा है क्योंकि अभी भी पश्चिम बंगाल की कई लोकसभा सीटों पर वोटिंग बाकी है. इसमें कई सीटें ऐसी भी हैं जहां मुस्लिम मतदाता अच्छी खासी संख्या में हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में ओबीसी का दर्जा पाने वाली कुल 77 मुस्लिम जातियों में से 42 को साल 2010 में लेफ्ट की सरकार ने ओबीसी का दर्जा दिया था. बाकी की 25 जातियों को ममता बनर्जी ने ओबीसी का दर्जा दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि इन जातियों को ओबीसी कोटे के तहत अगर नौकरी मिल रही है तो उस पर तत्काल रोक लगाई जाए. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि अभी तक जिन लोगों को इस कोटे के तहत नौकरी या कहीं एडमिशन मिला है, उनके खिलाफ कोई एक्शन न लिया जाएगा.
लोकसभा चुनाव पर क्या होगा असर?
दरअसल, पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की आबादी 30 फीसदी है. कई लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं. छठे और सातवें चरण में पश्चिम बंगाल की कुल 17 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी बाकी है. ये सीटें ऐसी हैं जहां पर मुस्लिम आबादी अच्छी खासी संख्या में है. पहले भी पश्चिम बंगाल के मुस्लिम मतदाता ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस का साथ देते रहे हैं, ऐसे में इस फैसले के बाद ममता को उम्मीद है कि मुस्लिम उनके पक्ष में लामबंद हो जाएंगे. शायद यही वजह है कि ममता बनर्जी ने हाई कोर्ट के इस फैसले को मानने से ही इनकार कर दिया है और चुनावी रैलियों में भी इसे भुनाने लगी हैं.
छठे चरण में पश्चिम बंगाल की 8 और सातवें चरण में 9 सीटों पर चुनाव होने हैं. छठे चरण में पश्चिम बंगाल की बांकुरा, बिष्नुपुर, पुरुलिया, मेदिनीपुर, झाड़ग्राम, कांथी, घाटल और तामलुक पर वोटिंग होनी है. इस चरण की 8 में से 5 लोकसभा सीट पर 2019 में बीजेपी ने जीत हासिल की थी. वहीं, 3 सीट पर तृणमूल कांग्रेस को जीत मिली थी. ऐसे में इन सभी सीटों पर अब ध्रुवीकरण होना तय माना जा रहा है.
सातवें चरण में क्या है समीकरण?
1 जून को सातवें चरण में पश्चिम बंगाल की कुल 9 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है. ये 9 सीटें- कोलकाता नॉर्थ, कोलकाता साउथ, जाधवपुर, डायमंड हार्बर, जयनगर, मथुरापुर, बशीरहाट, बारासात और दमदम हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने इन सभी 9 सीटों पर जीत हासिल की थी. ऐसे में अगर मुस्लिम मतदाता पूरी तरह से ममता बनर्जी की ओर लामबंद होते हैं तो बीजेपी के लिए पश्चिम बंगाल में अपनी सीटों की संख्या बढ़ा पाना मुश्किल हो सकता है.