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मध्य प्रदेश में 'शिवराज युग' खत्म! बतौर सीएम दर्ज है ये उपलब्धि 

Shivraj Singh Chouhan: मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रुप में बीजेपी ने मोहन यादव को चुना है. आज से शिवराज सिंह चौहान अब पूर्व सीएम के रूप में जाने जाएंगे. आईए जानते हैं शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक करियर.

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Purushottam Kumar
Shivraj Singh Chouhan

हाइलाइट्स

  • शिवराज सिंह चौहान पहली बार 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे.
  • शिवराज सिंह ने छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह के नाम के रिकॉर्ड को तोड़ा था.

Shivraj Singh Chouhan: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत और मुख्यमंत्री के चयन के लिए कई बैठकों के बाद बीजेपी ने आज प्रदेश के नए मुख्यमंत्री का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के लिए मोहन यादव को चुना है. आपको बताते चलें, बीजेपी ने मध्य प्रदेश के चुनाव से पहले सीएम चेहरे को लेकर कोई ऐलान नहीं किया था. जिसके बाद से यह कयास लगाया जा रहा है इस बार शिवराज सिंह चौहान सीएम पद से बेदखल हो सकते हैं.  

मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह का रिकॉर्ड

शिवराज सिंह चौहान ने अपने नाम बीजेपी के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाया है. शिवराज सिंह ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के नाम के रिकॉर्ड को तोड़ चुके हैं. आपको बता दें, रमन सिंह 15 साल 10 दिन तक सीएम पद पर रहे थे. शिवराज सिंह चौहान को पहली बार 29 नवम्बर 2005 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी.

इसके बाद उन्होंने 12 दिसंबर 2008 को अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने 14 दिसंबर 2013 को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. प्रदेश में 2018 में फिर चुनाव हुए और कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की जो कि महज 15 महीने में गिर गई. इसके साथ शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के विधायकों के समर्थन से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

शिवराज सिंह का राजनीतिक करियर

शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता है. 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. शिवराज सिंह चौहान ने साल 1977 से 78 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री के रूप में काम किया और मध्य प्रदेश में 1975 से 1980 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संयुक्त मंत्री रहे. इसके बाद 1980 से 1982 तक उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव के रूप में काम किया.

साल 1982 से 1983 तक वह ABVP के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे और फिर 1984 से 1985 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव रहे. इसके बाद 1985 से 1988 तक महासचिव और फिर 1988 से 1991 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे.