यूरोपीय देश, भारत के बारे में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हैं. चाहे अमेरिका हो या ब्रिटेन, सबको भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की चिंता होती है लेकिन अपने क्रूर दमन को भूल जाते हैं, जब वे विरोध प्रदर्शन करने पर अपने ही नागरिकों को गोली मार देते हैं, उनके साथ पशुओं की तरह व्यवहार करते हैं. पश्चिमी मीडिया की असली पोल खोली है ब्रिटेन के अखबार डेली एक्सप्रेस के असिस्टेंट एडिटर सैम स्टीवेन्सन ने.
उन्होंने ANI के साथ हुई बातचीत में कहा, 'दुर्भाग्य से, पूरे यूरोप और पश्चिम में भारत के बारे में धारणा अच्छी नहीं है. और इसका कारण यह है कि हमें नकारात्मक कहानियां सुनाई जा रही हैं. मीडिया यह सुना रही है. यह शर्म की बात है क्योंकि, वास्तव में, लोगों को यहां आने की जरूरत है, इसे अपनी आंखों से देखें, इसे जीएं, इसमें सांस लें, लोगों से मिलें, जमीन पर लोगों से बात करें. जब आप इसे देखेंगे तो लगेगा कि ये नया भारत है.'
'सबकी भलाई के लिए हमें करना चाहिए काम'
डेली एक्सप्रेस के असिस्टेंट एडिटर सैम स्टीवेन्सन ने कहा, 'हम सबकी भलाई के लिए काम कर सकते है. हमारे पास साझा संस्कृति, साझा भाषा, साझा विरासत और साझा इतिहास है. ब्रिटिश मीडिया उस चीज को सरल बनाने की कोशिश कर रही है, जो जटिल है.'
#WATCH | Sam Stevenson, Assistant Editor of UK-based newspaper Daily Express, says, "I think it's time to say enough with the India bashing. Down with the anti-India 'Bakwas'. We need to come here and tell the true, positive stories of new India. Unfortunately, a lot of the… pic.twitter.com/nmupgmVaI5
— ANI (@ANI) May 19, 2024Also Read
'मोदी और भारत के बारे में पश्चिम की गलत धारणा'
सैम स्टीवेन्सन ने कहा, 'पश्चिमी मीडिया कहती है कि नरेंद्र मोदी इस्लाम विरोधी हैं लेकिन वास्तव में, जब आप जमीन पर उतरते हैं और मुसलमानों से बात करते हैं, जब आप हिंदुओं, सिखों से बात करते हैं, तो आप देखेंगे कि भारत सभी संस्कृतियों या धर्मों को स्वीकार कर रहा है. यही बात इस जगह को खास बनाती है.'
'भारत की अनकही कहानियां कहने का सही आ गया वक्त'
डेली एक्सप्रेस के पत्रकार सैम स्टीवेन्सन भारत में लोकसभा चुनावों के कवरेज के लिए आए हैं. उन्होंने कहा, 'नए भारत की सकारात्मक कहानियों को कहने का यही समय है. यह भविष्य में 5 ट्रिलियन की इकॉनमी बनने की ओर है. भारत के बारे में कई सकारात्मक कहानियां है, जिसे बताने की जरूरत है.'
सैम स्टीवेन्सन ने कहा, 'मुझे लगता है कि अब भारत की आलोचना के साथ काफी कुछ कहने का समय आ गया है. भारत विरोधी 'बकवास' मुर्दाबाद. हमें यहां आने और सच्ची, सकारात्मक कहानियां बताने की जरूरत है.'
भारत के बारे में नकारात्मक सोचते हैं पश्चिमी देश
सैम स्टीवेन्सन ने कहा, 'दुर्भाग्य से, लंदन और पूरे यूरोप में भारत के बारे में नकारात्मक कहानियां कही जाती हैं लेकिन हमने ज़मीनी स्तर पर ऐसा नहीं देखा है. नरेंद्र मोदी की रैली में पूरे बुर्के में महिलाएं शामिल हुईं. हमने इस महान और अद्भुत राष्ट्र की विविधता के कई उदाहरण देखे हैं. हम यहां ब्रिटिश मीडिया के कवरेज को बढ़ाने के लिए हैं. हम यहां सच्चाई ढूंढे और सही बात लंदन तक पहुंचाएं. अब नए भारत के बारे में नकारात्मक कहानियां नहीं कहनी चाहिए.'