Lok Sabha Election 2024: चुनाव आयोग ने 7 चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों का पूरा कार्यक्रम घोषित कर दिया है. इसी के साथ चुनावी मैदान भी तैयार हो गया है. 19 अप्रैल से 1 जून तक 10.5 लाख पोलिंग बूथों पर करीब 97 करोड़ वोटर इस चुनाव में हिस्सा लेंगे. पीएम मोदी, जिन्होंने अमित शाह के साथ 2014 और 2019 में भाजपा की चुनावी सफलताओं का ब्लू प्रिंट तैयार किया, वे अब अपने तीसरे कार्यकाल का दावा कर रहे हैं. अगर ऐसा होता है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद पीएम मोदी दूसरे पीएम होंगे.
उधर, भाजपा के खिलाफ विपक्षी INDIA गठबंधन खड़ा है, जो कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों समेत विपक्षी दलों का एक गुट है. सीट बंटवारे के मुद्दों पर गठबंधन में कई बार के मतभेदों के बावजूद भाजपा विरोधी गुट ने एकजुट होकर मोर्चा बनाने की कोशिश की है. इस चुनावी समर में देखा जाए तो भाजपा और विपक्ष के बीच देश के पांच इलाकों (क्षेत्रों) में आमने-सामने की टक्कर होगी.
राजनीति में अक्सर सभी ने ये बात सुनी होगी कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. यानी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश काफी अहमियत रखता है. भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश ने देश को नौ प्रधानमंत्री दिए हैं, जिनमें से मोदी भी एक हैं. वर्तमान में मोदी वाराणसी से सांसद हैं.
यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. ये आंकड़ा 2019 की लोकसभा में कुल 303 सीटें जीतने की भाजपा की उम्मीदों के लिए काफी खास था. इस बार पार्टी को भरोसा है कि पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता के साथ-साथ अयोध्या में राम मंदिर पिछले दो बार की तुलना में ज्यादा मदद करेगा.
लेकिन भाजपा को अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. 2019 के चुनावों में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा ने 5 सीटें जीती थीं, जबकि उसकी गठबंधन सहयोगी मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी को 10 सीटें मिली थीं.
कभी इस हिंदी भाषी राज्य में दबदबा रखने वाली कांग्रेस आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. 2014 और 2019 के चुनावों में कांग्रेस दो और एक सीट ही जीत सकी थी. इस लोकसभा चुनाव में यूपी में सभी सात चरणों में मतदान होगा.
2021 के विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए 'खेला होबे' (खेल जारी है) का नारा दिया था. तीन साल बाद ममता भी उसी युद्ध के मैदान में हैं. वाम मोर्चा पूरी तरह से नष्ट हो चुका है, क्योंकि इस समय उनका मुख्य दुश्मन भाजपा है.
2019 के चुनावों में हिंसा से प्रभावित मतदान में भाजपा ने यहां 18 सीटें जीती थीं. इस बार भाजपा संदेशखाली समेत विभिन्न मुद्दों पर ममता बनर्जी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, जहां कई महिलाओं ने निलंबित टीएमसी नेता शेख शाहजहां पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने भी उत्तर 24 परगना के इस गांव के पीड़ितों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि संदेशखाली की गरीब, आदिवासी, दलित महिलाओं के साथ टीएमसी नेता ने जो किया, उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. टीएमसी, कांग्रेस और लेफ्ट के INDIA ब्लॉक ने उत्तर बंगाल के साथ बहुत भेदभाव किया.
महाराष्ट्र में भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा और विपक्षी महा विकास अघाड़ी वाले एनडीए के बीच पांच चरणों में चुनावी लड़ाई होगी. लोकसभा में 48 सदस्यों को भेजने वाले पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र में पिछले पांच वर्षों में नाटकीय राजनीतिक घटनाएं देखी गई हैं. देवेंद्र फड़नवीस की शपथ से लेकर शिंदे की बगावत के बाद महा विकास अघाड़ी के पतन तक, महाराष्ट्र इस साल एक दिलचस्प मुकाबले के लिए तैयार है.
भाजपा, जिसे अक्सर उसके आलोचक उत्तर भारतीय पार्टी करार देते हैं, ने हाल के वर्षों में दक्षिणी राज्यों में प्रगति की है. कर्नाटक में 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 28 में से 25 सीटें जीती थीं. कांग्रेस इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव की जीत को लोकसभा की सफलता में बदलने की उम्मीद कर रही होगी.
आंध्र प्रदेश में बीजेपी ने जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी के खिलाफ चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी और पवन कल्याण की जन सेना के साथ गठबंधन किया है. आंध्र प्रदेश से अलग होकर बने नए राज्य तेलंगाना में पिछले दिसंबर में कांग्रेस की जीत हुई थी. सबसे पुरानी पार्टी, जिसने के. चंद्रशेखर राव की बीआरएस के 10 साल लंबे शासनकाल को समाप्त कर दिया, उसकी नजर 2023 में फिर से सत्ता पर होगी.
तमिलनाडु में INIDA के सहयोगी द्रमुक और कांग्रेस की निगाहें अन्नाद्रमुक के खिलाफ मजबूत प्रदर्शन पर होंगी. दूसरी ओर भाजपा 'सनातन धर्म' के खिलाफ उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी पर हुए विवाद को भुनाने की तैयारी में है. भाजपा ने तिरुवनंतपुरम में तीन बार के कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को मैदान में उतारा है.
अरुणाचल प्रदेश, असम , मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा और सिक्किम में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 7 मई को मतदान होगा. पूर्वोत्तर की 25 सीटों में से, भाजपा और उसके सहयोगियों ने पिछले चुनाव 2019 में 18 सीटें जीती थीं. पिछले साल मई से हिंसा की चपेट में पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में दो में से एक निर्वाचन क्षेत्र में दो दिन मतदान होगा.