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केरल के सबरीमाला मंदिर से 4.5 किलो सोना गायब, HC ने दिए जांच के आदेश, 1 हफ्ते के अंदर मांगी रिपोर्ट

केरल हाई कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर के द्वारपालक मूर्तियों के सोने से ढके तांबे के प्लेट्स से सोने के गायब होने की जांच का आदेश दिया है. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत जांच के निर्देश दिए, क्योंकि प्लेट्स का वजन 42.8 किलोग्राम से घटकर 38.258 किलोग्राम रह गया था.

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Edited By: Princy Sharma
Kerala High Court
Courtesy: Pinterest

Kerala High Court: केरल हाई कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर के द्वारपालक (रक्षक देवता) मूर्तियों के सोने से ढके तांबे के प्लेट्स से सोने के गायब होने की घटना की जांच का आदेश दिया है. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं.

जस्टिस राजा विजयाराघवन और केवी जयकुमार की पीठ ने 2019 में इन प्लेट्स को फिर से सोने की परत चढ़ाने के लिए निकाले जाने का जिक्र किया. उस समय इन प्लेट्स का वजन 42.8 किलोग्राम था, लेकिन चेन्नई स्थित फर्म को सौंपे जाने पर उनका वजन केवल 38.258 किलोग्राम था, जो करीब 4.54 किलो की कमी थी.

मामले की गंभीर जांच

कोर्ट ने इसे चौंकाने वाली और अस्पष्ट कमी करार दिया और कहा कि यह मामले की गंभीर जांच का कारण है. कोर्ट ने यह भी बताया कि इन मूर्तियों के प्लेट्स को 1999 में सरकारी मंजूरी से स्थापित किया गया था और इन्हें 40 साल की गारंटी दी गई थी. लेकिन केवल 6 साल बाद ही प्लेटिंग में खराबी आ गई, जिसके बाद मरम्मत का काम शुरू हुआ.

यह विवाद तब शुरू हुआ जब त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) ने 2019 में द्वारपालक मूर्तियों के सोने से ढके प्लेट्स को बिना विशेष आयुक्त या कोर्ट की मंजूरी के मरम्मत और फिर से सोने की परत चढ़ाने के लिए हटा लिया. बाद में, इन प्लेट्स को भक्त-सहयोगी उन्निकृष्णन पोट्टी ने चेन्नई स्थित स्मार्ट क्रिएशन्स फर्म को भेजा, लेकिन वहां प्लेट्स का वजन पहले से कम पाया गया. फिर से सोने की परत चढ़ाने के बाद भी, प्लेट्स का वजन 38.65 किलोग्राम था, जो मूल वजन से बहुत कम था.

तीन हफ्ते में रिपोर्ट देने के आदेश

कोर्ट ने त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के मुख्य सतर्कता और सुरक्षा अधिकारी को एक व्यापक जांच करने, सभी रिकॉर्ड की जांच करने और तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी रजिस्टर सतर्कता अधिकारी को सौंपे जाएं और बोर्ड को पूरी सहयोग देने के लिए कहा.

यह मामला अब एक बड़े विवाद का रूप ले चुका है, जिसमें धार्मिक विश्वासों और प्रशासनिक लापरवाही के बीच घमासान मचने की संभावना है.

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