अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख के बीच हालिया मुलाकात ने भारत को नाराज कर दिया है. भारत ने इस मुलाकात पर निजी तौर पर कूटनीतिक विरोध दर्ज किया और अमेरिका को द्विपक्षीय संबंधों पर खतरे की चेतावनी दी. सूत्रों के अनुसार, भारत अब चीन के साथ संबंधों को पुनर्व्यवस्थित करने पर विचार कर रहा है.
पाकिस्तान के साथ अमेरिका की निकटता
ट्रम्प ने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर के साथ व्हाइट हाउस में लंच मीटिंग की, जो भारत के लिए चिंता का विषय बन गया. तीन वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया, "हमने अमेरिका को सीमा पार आतंकवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है, जो हमारे लिए रेड लाइन है." उन्होंने कहा कि यह मुलाकात द्विपक्षीय संबंधों में बाधा उत्पन्न करेगी. भारत ने पाकिस्तान, विशेष रूप से उसके सैन्य प्रतिष्ठान, पर सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया है, जिसे पाकिस्तान खारिज करता है.
भारत-पाक तनाव का इतिहास
मई में भारत द्वारा कश्मीर में पर्यटकों पर हुए हमले के जवाब में सीमा पार आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद दोनों देशों में चार दिनों तक हवाई संघर्ष चला. इसके बाद ट्रम्प ने दावा किया कि उन्होंने भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध रोका, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खारिज करते हुए कहा, "सीजफायर दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की बातचीत से हुआ, न कि अमेरिकी मध्यस्थता से."
चीन के साथ संबंधों की नई रणनीति
विश्लेषक हर्ष पंत ने कहा, "निश्चित रूप से चीन के साथ संपर्क बढ़ रहा है." भारत ने 2020 के सीमा संघर्ष के बाद चीन से निवेश पर लगे प्रतिबंधों को कम करने के संकेत दिए हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में बीजिंग का दौरा किया. विश्लेषक क्रिस्टोफर क्लेरी ने कहा, "व्हाइट हाउस में अप्रत्याशित ट्रम्प के साथ, नई दिल्ली को चीन-अमेरिका निकटता की संभावना से इंकार नहीं करना चाहिए."
आगे की चुनौतियां
भारत का मानना है कि अमेरिका से पाकिस्तान को मिलने वाले हथियार भविष्य में भारत के खिलाफ इस्तेमाल हो सकते हैं. माइकल कुगलमैन ने कहा, "अमेरिका का पाकिस्तान के साथ बढ़ता जुड़ाव और भारत की चिंताओं को नजरअंदाज करना द्विपक्षीय संबंधों में तनाव का कारण बन रहा है." भारत अब व्यापार वार्ता में सख्त रुख अपना रहा है और चीन के साथ रणनीतिक संतुलन की तलाश कर रहा है.