भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण व्यापार समझौते को लेकर बातचीत गतिरोध बरकरार है. सूत्रों के अनुसार, अगस्त के दूसरे सप्ताह में वाशिंगटन से एक प्रतिनिधिमंडल के दिल्ली आने पर वार्ता फिर से शुरू होगी.
द्विपक्षीय व्यापार समझौते की कोशिश
दोनों देश सितंबर या अक्टूबर तक एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) अंतिम रूप देने का लक्ष्य रखते हैं. हाल ही में वाशिंगटन में हुई पांचवें दौर की बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ऑटो कंपोनेंट्स, इस्पात और कृषि उत्पादों पर शुल्क को लेकर गतिरोध तोड़ने की कोशिश की. हालांकि, यह चर्चा बेनतीजा रही. सूत्रों ने बताया कि भारत ने डेयरी क्षेत्र में अमेरिकी मांगों को ठुकरा दिया, जो 80 मिलियन से अधिक भारतीयों, खासकर छोटे किसानों, के लिए आजीविका का स्रोत है.
अमेरिकी शुल्कों का दबाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 अगस्त की शुल्क स्थगन समयसीमा से पहले समझौता न होने पर भारत पर 26% शुल्क लगाने की चेतावनी दी है. ट्रम्प ने दावा किया कि भारत के साथ बीटीए "लगभग तय" है, लेकिन उन्होंने ब्रिक्स देशों पर 10% शुल्क और रूसी सामानों पर 100% शुल्क की धमकी भी दी. भारत, जो रूस के जीवाश्म ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है, पर माध्यमिक प्रतिबंधों का असर पड़ सकता है.
आशा की किरण
हालांकि, कम से कम 14 देशों को वाशिंगटन से 25% से 40% शुल्क की औपचारिक सूचना मिली है, भारत को ऐसी कोई चिट्ठी नहीं मिली. इससे उम्मीद बनी हुई है कि अगस्त की वार्ता में प्रगति हो सकती है. भारत सरकार का कहना है कि वह तभी समझौता करेगी जब उसके हित सुरक्षित हों.
आगे की राह
अगस्त की बातचीत यह तय करेगी कि क्या भारत 500% तक के भारी शुल्कों से बच सकता है और लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे सकता है. दोनों देशों के बार-बार आश्वासनों के बावजूद यह समझौता अब तक मायावी बना हु