Subramanian Swamy On India-China Conflict: भारत और चीन के सैनिकों के बीच साल 2020 में हुए हिंसक संघर्ष के बाद पूर्वी लद्दाख में LAC पर दोनों देशों के बीच तनाव जारी है. एक तरफ सरकार की ओर से लगातार यह दावा किया जा रहा है कि जल्द ही इन तनावों को कम कर लिया जाएगा. तो वहीं, इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर है. इसी कड़ी में अब सुब्रमण्यम स्वामी की भी एंट्री हो गई है.
सुब्रमण्यम स्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए मोदी सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि भारतीय क्षेत्र का कितना हिस्सा चीन की ओर से कब्जाया गया है, इसे लेकर दिल्ली हाई कोर्ट उनकी याचिका पर इस साल अप्रैल में सुनवाई करेगा. उन्होंने आगे लिखा कि मेरी रिट याचिका पर इस साल अप्रैल के पहले हफ्ते में दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज सुनवाई करेंगे. उन्होंने आगे लिखा कि सीआईसी को मेरी रिट याचिका में चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र को हड़पने के बारे में सच्चाई का खुलासा करने के लिए प्राधिकरण को बाध्य करने की मांग की गई है और कितना, इसकी सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह में दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा की जाएगी. मोदी सरकार इतनी घबराई हुई क्यों है?
सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने एक अन्य पोस्ट में लिखा कि मोदी सरकार इस सच्चाई से इतना क्यों डर रही है कि चीन ने लद्दाख की 4064 वर्ग किलोमीटर जमीन निगल ली है. आज तक, जब भी मैं विवरण मांगता हूं, भारत सरकार छिपने के लिए दौड़ती रहती है.
गौरतलब है कि 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. इस हिंसक झड़प के बाद से ही भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई है. इसके बाद कई दौर की कोर कमांडर बैठकों के बावजूद पूर्वी लद्दाख में डिसएंगेजमेंट यानी असैन्यीकरण के मुद्दे को पूरी तरीके से हल नहीं निकला है.