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India Daily

क्रैश साइट की भयानक तस्वीरें और खुद के बचने की यादें करती हैं पीछा...चचेरे भाई ने बताई विश्वास कुमार की हालत

एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 हादसे में जीवित बचे इकलौते यात्री विश्वास कुमार आज भी मानसिक रूप से उस सदमे से नहीं उबर पाए हैं. अपने भाई को खोने और दुर्घटना का सामना करने के बाद वे गहरे अवसाद में हैं और मनोचिकित्सक की मदद ले रहे हैं.

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Edited By: Km Jaya
Air India Ahmedabad crash survivor
Courtesy: Social Media

12 जून को हुए एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 के दर्दनाक विमान हादसे में 260 लोगों की जान गई, लेकिन इस त्रासदी में एक चमत्कारिक रूप से बचने वाले व्यक्ति रहे  40 वर्षीय विश्वास कुमार रमेश जो भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक विश्वास उस समय विमान में अपने भाई अजय के साथ सवार थे, जब अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरते ही बोइंग 787 ड्रीमलाइनर तकनीकी खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विश्वास इस हादसे के एकमात्र जीवित यात्री हैं, जबकि उनके भाई अजय समेत 241 यात्री और विमान के नीचे मौजूद 19 लोग इस दुर्घटना में मारे गए. इस घटना ने विश्वास के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है. वे शारीरिक रूप से तो बच गए, लेकिन मानसिक रूप से अब भी गहरे सदमे में हैं.

रातों को नहीं आती नींद

विश्वास के चचेरे भाई सनी कुमार ने मीडिया को बताया कि विश्वास अब भी रातों को डर से जाग जाते हैं और दोबारा सो नहीं पाते. उन्होंने कहा, “क्रैश साइट की भयानक तस्वीरें, भाई की मौत और खुद के बचने की यादें अब भी उनका पीछा करती हैं.” परिवार वालों ने हाल ही में विश्वास को एक मनोचिकित्सक से मिलवाया है, और फिलहाल उनका उपचार शुरू हो गया है.

भाई को दिया कंधा

हादसे के बाद विश्वास को 17 जून को अहमदाबाद सिविल अस्पताल से छुट्टी दी गई थी. उसी दिन डीएनए मिलान के बाद उनके भाई अजय का शव उन्हें सौंपा गया. 18 जून को दीव में भाई अजय का अंतिम संस्कार हुआ, जिसमें विश्वास ने स्वयं अपने भाई का पार्थिव शरीर कंधे पर उठाकर अंतिम यात्रा में भाग लिया.

वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

इस घटना का एक भावुक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था, जिसमें विश्वास को श्मशान ले जाते हुए देखा गया. 

लंदन लौटने का फैसला 

विश्वास के परिवार का कहना है कि अभी वे मानसिक रूप से इतनी बड़ी त्रासदी से उबर नहीं पाए हैं, इसलिए लंदन लौटने का फैसला स्थगित कर दिया गया है. परिजन का कहना है कि हादसे के उस मलबे से बाहर निकलना जितना कठिन था, शायद मानसिक रूप से बाहर निकलना उससे भी अधिक कठिन है.