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India Daily

New Income Tax Law: 60 साल पुराने टैक्स कानून को अलविदा, जानें क्या है नया ‘S.I.M.P.L.E’ कानून सिस्टम जो 2026 से होगा लागू

लोकसभा ने ‘आयकर (संख्या 2) विधेयक’ को मंजूरी दी, जो 1961 के पुराने कानून को बदलकर 2026 से लागू होगा. यह विधेयक कर कानून को सरल, स्पष्ट और विवाद-मुक्त बनाने पर केंद्रित है. इसमें TDS, टैक्स रिफंड, पेंशन, इंटर-कार्पोरेट डिविडेंड और संपत्ति कर से जुड़े नियमों में बदलाव शामिल हैं. MSME की परिभाषा को अद्यतन किया गया है और ‘टैक्स ईयर’ प्रणाली लागू होगी, लेकिन कर स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं होगा.

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Edited By: Km Jaya
Nirmala Sitharaman
Courtesy: Social Media

New Income Tax Law: लोकसभा ने सोमवार को बिना विपक्षी बहस के ‘आयकर (संख्या 2) विधेयक’ को मंजूरी दे दी, जो छह दशक पुराने 1961 के आयकर अधिनियम को बदलकर ‘S.I.M.P.L.E’ यानी सरल और समझने लायक बनाने का लक्ष्य रखता है. यह विधेयक 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा. 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में इसके पहले मसौदे को पेश करते हुए S.I.M.P.L.E का अर्थ बताया था – Streamlined structure and language, Integrated and concise, Minimised litigation, Practical and transparent, Learn and adapt, और Efficient tax reforms.

नया विधेयक की पुराने से तुलना

पहला मसौदा भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली सेलेक्ट कमेटी को भेजा गया था, जिसने 285 सुझाव दिए और इनमें से अधिकांश को स्वीकार किया गया. नया विधेयक पुरानी जटिल कर संरचना को लगभग 50% सरल करता है. 

नए विधेयक में भाषा की स्पष्टता

नए विधेयक में भाषा को सरल करने के साथ कटौतियों को स्पष्ट किया गया है, प्रावधानों में क्रॉस-रेफरेंस मजबूत किए गए हैं और मकान संपत्ति से आय के नियम स्पष्ट किए गए हैं. इसमें ‘कैपिटल एसेट’, ‘माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज’ तथा ‘बेनीफिशियल ओनर’ जैसे शब्दों की परिभाषाएं भी स्पष्ट की गई हैं. पेंशन योगदान और वैज्ञानिक अनुसंधान खर्च के कर उपचार में भी एकरूपता लाई गई है.

मुख्य बदलाव

टैक्स रिफंड में राहत: देर से रिटर्न दाखिल करने पर भी रिफंड का दावा संभव.

TDS में ढील: TDS की देर से फाइलिंग पर कोई वित्तीय जुर्माना नहीं.

Nil-TDS सर्टिफिकेट: जिनकी कर देनदारी शून्य है, वे अग्रिम ‘Nil Certificate’ ले सकते हैं.

पेंशन पर छूट: कुछ विशेष पेंशन फंड से मिलने वाले कम्यूटेड पेंशन पर स्पष्ट कर छूट.

इंटर-कार्पोरेट डिविडेंड कटौती: सेक्शन 80M के तहत फिर से बहाल, ताकि डबल टैक्सेशन से बचा जा सके।

प्रॉपर्टी टैक्स नियम स्पष्ट: मकान किराये की वार्षिक मूल्यांकन पद्धति में बदलाव, अब वास्तविक किराये के आधार पर कर लगेगा.

फ्रिंज बेनिफिट टैक्स

MSME की परिभाषा को MSME अधिनियम (2020) के अनुरूप किया गया है. ‘टैक्स ईयर’ की अवधारणा लागू होगी, जिसमें उसी वर्ष की आय पर उसी वर्ष कर देना होगा, जबकि अभी वित्त वर्ष और आकलन वर्ष अलग-अलग होते हैं. ‘फ्रिंज बेनिफिट टैक्स’ जैसे अप्रासंगिक प्रावधान हटा दिए गए हैं.

क्या नहीं बदला?

मौजूदा कर स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं होगा और अदालतों द्वारा परिभाषित प्रमुख शब्दावली वैसी ही रहेगी. साथ ही, सोमवार को ‘कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025’ भी पारित हुआ, जो सऊदी अरब के सॉवरेन वेल्थ फंड और उसकी सहायक कंपनियों को भारत में निवेश पर प्रत्यक्ष कर राहत देता है.