New Income Tax Law: लोकसभा ने सोमवार को बिना विपक्षी बहस के ‘आयकर (संख्या 2) विधेयक’ को मंजूरी दे दी, जो छह दशक पुराने 1961 के आयकर अधिनियम को बदलकर ‘S.I.M.P.L.E’ यानी सरल और समझने लायक बनाने का लक्ष्य रखता है. यह विधेयक 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में इसके पहले मसौदे को पेश करते हुए S.I.M.P.L.E का अर्थ बताया था – Streamlined structure and language, Integrated and concise, Minimised litigation, Practical and transparent, Learn and adapt, और Efficient tax reforms.
The Income-Tax Bill, 2025 has been introduced in the Lok Sabha today.
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) February 13, 2025
The Bill aims to simplify the tax system for all and is built on these core "SIMPLE" principles:⬇️ pic.twitter.com/bX4Zc1ImdR
पहला मसौदा भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली सेलेक्ट कमेटी को भेजा गया था, जिसने 285 सुझाव दिए और इनमें से अधिकांश को स्वीकार किया गया. नया विधेयक पुरानी जटिल कर संरचना को लगभग 50% सरल करता है.
नए विधेयक में भाषा को सरल करने के साथ कटौतियों को स्पष्ट किया गया है, प्रावधानों में क्रॉस-रेफरेंस मजबूत किए गए हैं और मकान संपत्ति से आय के नियम स्पष्ट किए गए हैं. इसमें ‘कैपिटल एसेट’, ‘माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज’ तथा ‘बेनीफिशियल ओनर’ जैसे शब्दों की परिभाषाएं भी स्पष्ट की गई हैं. पेंशन योगदान और वैज्ञानिक अनुसंधान खर्च के कर उपचार में भी एकरूपता लाई गई है.
टैक्स रिफंड में राहत: देर से रिटर्न दाखिल करने पर भी रिफंड का दावा संभव.
TDS में ढील: TDS की देर से फाइलिंग पर कोई वित्तीय जुर्माना नहीं.
Nil-TDS सर्टिफिकेट: जिनकी कर देनदारी शून्य है, वे अग्रिम ‘Nil Certificate’ ले सकते हैं.
पेंशन पर छूट: कुछ विशेष पेंशन फंड से मिलने वाले कम्यूटेड पेंशन पर स्पष्ट कर छूट.
इंटर-कार्पोरेट डिविडेंड कटौती: सेक्शन 80M के तहत फिर से बहाल, ताकि डबल टैक्सेशन से बचा जा सके।
प्रॉपर्टी टैक्स नियम स्पष्ट: मकान किराये की वार्षिक मूल्यांकन पद्धति में बदलाव, अब वास्तविक किराये के आधार पर कर लगेगा.
MSME की परिभाषा को MSME अधिनियम (2020) के अनुरूप किया गया है. ‘टैक्स ईयर’ की अवधारणा लागू होगी, जिसमें उसी वर्ष की आय पर उसी वर्ष कर देना होगा, जबकि अभी वित्त वर्ष और आकलन वर्ष अलग-अलग होते हैं. ‘फ्रिंज बेनिफिट टैक्स’ जैसे अप्रासंगिक प्रावधान हटा दिए गए हैं.
मौजूदा कर स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं होगा और अदालतों द्वारा परिभाषित प्रमुख शब्दावली वैसी ही रहेगी. साथ ही, सोमवार को ‘कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025’ भी पारित हुआ, जो सऊदी अरब के सॉवरेन वेल्थ फंड और उसकी सहायक कंपनियों को भारत में निवेश पर प्रत्यक्ष कर राहत देता है.