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Delhi Power Supply: गर्मी में जमकर चलते हैं AC, आखिर दिल्ली को कहां से मिलती है इतनी बिजली?

Delhi Electricity Supply: दिल्ली में बिजली की सप्लाई कई कंपनियां मिलकर करती हैं. इसके बावजूद हर साल डिमांड बढ़ने पर कई बार ऐसा होता है कि शहर को बिजली से संकट से जूझना पड़ जाता है.

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Electricity Supply
Courtesy: Social Media

देश की राजधानी दिल्ली में करोड़ों लोग रहते हैं. लाखों घर ऐसे भी हैं जिनमें कई किराएदार और परिवार रहते हैं. ऐसे में बिजली की खपत कई गुना ज्यादा होती है. गर्मी के मौसम में एसी, पानी का मोटर और अन्य उपकरण भी खूब चलते हैं, ऐसे में पूरी दिल्ली में बिजली की मांग एकदम पीक पर पहुंच जाती है. इस साल भी अनुमान लगाया जा रहा है कि दिल्ली में बिजली की सप्लाई 8 हजार मेगावाट से ज्यादा हो सकती है. ऐसे में बिजली कंपनियां अभी से ही तैयारी कर रही हैं ताकि दिल्लीवासियों को बिजली की कमी न हो और लगातार बिजली सप्लाई जारी रहे.

दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी BSES को लगभग 2100 मेगावाट बिजली अक्षय ऊर्जा से मिलती है. इसमें से सोलर प्लांट से 888 मेगावाट, हाइड्रो प्लांट से 515 मेगावाट और विंड पावर से कुल 500 मेगावाट बिजली मिलेगी. इसके अलावा, 40 मेगावाट बिजली कचरे से बनने वाले प्लांट से भी मिलेगी. बता दें कि पिछले साल बिजली की पीक डिमांज 7438 मेगावाट तक पहुंच गई थी.

दिल्ली को कहां से मिलती है बिजली?

राजधानी दिल्ली में बिजली सप्लाई का काम  BSES, टाटा पावर और NDPL जैसी कंपनियां करती हैं. ये कंपनियां लगभग एक तिहाई बिजली नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से लेती हैं. बाकी की बिजली कोयले वाले या फिर हाइड्रो पावर प्लांट से ही आती हैं. प्रदूषण कम करने के लिए राजघाट और बदरपुल पावर प्लांट को क्रमश: 2015 और 2018 में बंद किया जा चुका है.

दिल्ली को सबसे ज्यादा बिजली NTPC दादरी प्लांट से मिलती है. NTPC दादरी-1 से 756 मेगावाट और NTPC दादरी-2 से कुल 728 मेगावाट बिजली आती है. इसके अलावा, झज्जर से 693 मेगावाट, सासन से 446 मेगावाट, एनटीपीसी के सिंगरौली प्लांट से 300 मेगावाट, कहलगांव से 157 मेगावाट, रिहंद से 358 मेगावाट, नाथपा झाखरी से 142 मेगावाट और एनटीपीसी ऊंचाहार से कुल 100 मेगावाट बिजली की सप्लाई होती है.

हाइड्रो और कोल प्लांट के अलावा गैस प्लांट से भी दिल्ली को बिजली मिलती है. दिल्ली में मौजूद 3 गैस प्लांट से लगभग 1300 मेगावाट बिजली पैदा होती है. तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी के चलते कचरे वाले प्लांट से भी अब बिजली मिलने लगी है. तमाम नवीकरणीय स्रोतों के बावजूद दिल्ली अपनी बिजली के लिए सबसे ज्यादा कोयले पर निर्भर है. यही वजह है कि कोयले की सप्लाई लेट होने से कई बार बिजली की कमी होने लगती है.