पुणे में मीडिया से बातचीत के दौरान मंत्री नितेश राणे ने भगवद गीता की शिक्षाओं को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने की बात कही है. उन्होंने जोर देकर कहा कि गीता न तो नफरत फैलाती है और न ही धर्म परिवर्तन की शिक्षा देती है. राणे ने यह भी स्पष्ट किया कि स्कूल पाठ्यक्रम में हिंदी अनिवार्य नहीं बनाई जा रही है.
नितेश राणे ने कहा कि भगवद गीता की शिक्षाएं विचारों में बदलाव लाने और सौहार्द स्थापित करने में सक्षम हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि गीता की बातें मोहल्लों (मुस्लिम एरिया) में फैलती हैं, तो उनके विचारों में सकारात्मक परिवर्तन आएगा और यह हिंदू राष्ट्र की भावना को मजबूत करेगा. उनका मानना है कि गीता की शिक्षा नफरत नहीं फैलाती बल्कि मानवता का संदेश देती है.
Pune, Maharashtra: Minister Nitesh Rane says, "The power of our Bhagavad Gita lies in the fact that it never teaches hatred towards anyone. The message of Shri Krishna should be spread everywhere. If this message reaches local communities, it will bring a change in their… pic.twitter.com/9PN32lXnXM
— IANS (@ians_india) June 29, 2025
गौरतलब है कि राज्य में स्कूलों में हिंदी भाषा को शामिल करने के मुद्दे पर विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने 5 जुलाई को संयुक्त मार्च निकालने की घोषणा की है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राणे ने कहा कि कोई भी भाषा अनिवार्य नहीं की जा रही है और विद्यार्थी अपनी इच्छानुसार संस्कृत को तीसरी भाषा के रूप में चुन सकते हैं.
राणे ने बॉलीवुड हस्तियों और कांग्रेस नेताओं पर व्यंग्य करते हुए कहा कि उन्होंने कभी जावेद अख्तर, आमिर खान या राहुल गांधी को मराठी बोलते नहीं सुना. उन्होंने यह भी पूछा कि जो लोग मुंबई में वर्षों से रह रहे हैं लेकिन मराठी नहीं बोलते, उन्हें यह भाषा सिखाने का प्रयास क्यों नहीं किया जाता. शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल में पढ़े हैं तो संस्कृत क्यों नहीं चुनी, स्पेनिश या फ्रेंच क्यों?